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साहब को उबकाई तो आई, शर्म कब आएगी

साहब को उबकाई तो आई, शर्म कब आएगी
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कार्रवाई को तैयार नहीं ठेकेदार के इशारों पर नाचते अधिकारी मामले को दबाने लगा रहे हैं जोर


ग्वालियर।
आंगनबाडिय़ों पर मासूमों को दिए जा रहे पोषण आहार को चुराकर किए जा रहे बंदरबांट में ठेकेदार और अधिकारियों की किस बेशर्मी की हद तक मिली भगत है, कि ‘स्वदेश’ द्वारा प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत किए जाने के बाद भी ठेकेदारों के इशारे पर नाचते अधिकारी समाचार को रुकवाने और मामले को दबाने के लिए तो लगातार दबाव डलवा रहे हैं, लेकिन मासूमों के हक के पोषण आहार में डकैती डालते ठेकेदार के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई करने से बच रहे हैं। शर्मनाक पहलू तो यह है कि अभी तक न तो विभागीय और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर सच्चाई जानने की कोशिश की है।

उल्लेखनीय है कि आंगनबाडिय़ों पर मासूमों को शासकीय मद से उपलब्ध कराए जा रहे पोषण आहार में भोजन आवंटित करने वाले स्व-सहायता समूहों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे घटिया गुणवत्ता एवं कम मात्रा को लेकर ‘स्वदेश’ ने समाचारों के माध्यम से सप्ताहभर में अनेक प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस सहित महिला एवं बाल विकास अधिकारी बृजेश त्रिपाठी, प्रभारी कलेक्टर शिवराज वर्मा एवं संभागीय आयुक्त एस.एन.रूपला को आंगनबाडिय़ों पर पोषण आहार की खराब गुणवत्ता एवं अत्यधिक कम मात्रा की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। बल्कि प्रभारी कलेक्टर श्री वर्मा एवं विभागीय अधिकारियों को उनके कार्यालय में ले जाकर वह पोषण आहार भी हाथ में थमाया है, जिसे मासूमों का पेट भरने और प्रदेश से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए परोसा जाता है। प्रभारी कलेक्टर शिवराज वर्मा ने इस खराब गुणवत्ता के भोजन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी दी। साथ ही जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी को तुरंत कार्रवाई के आदेश भी किए। इस प्रकार संभागायुक्त ने भी श्री त्रिपाठी को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन दोनों ही प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस के आश्वासन को श्री त्रिपाठी ने हवा में उड़ा दिया। श्री त्रिपाठी शहर में पोषण आहार का आवंटन करने वाले एक स्व-सहायता समूह सहित परियोजना क्रमांक 3 के अधिकारियों को नोटिस थमाए जाने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन नोटिस की अवधि गुजरजाने के बाद भी धरातल पर कार्रवाई शून्य ही है। स्पष्ट है कि अधिकारी नोटिस और जांच की आड़ लेकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं।

‘स्वदेश’ को मिली सराहना
आंगनबाडिय़ों पर मासूमों के हक के पोषण आहार पर डाले जा रहे डाके की खबर को अभियान बनाकर प्रकाशित किए जाने के लिए शहरभर से ‘स्वदेश’ को सराहना मिल रही है। शहर के कई समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने इस पहल के लिए ‘स्वदेश’ की सराहना करते हुए अन्य सामाजिक बुराईयों के खिलाफ भी इस तरह के अभियान छेडऩे का अनुरोध किया है।

और क्या प्रमाण चाहिए कलेक्टर साहब
ग्वालियर के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नैनिहालों को बांटे जा रहे बदबूदार व गुणवत्ता विहीन पोषण आहार की जमीनी हकीकत की पोल पिछले पांच दिन से खुलने के बावजूद जिले के प्रभारी कलेक्टर, महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक और जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। जिला कार्यक्रम अधिकारी जो कि इस पूरे ताने-बाने की मुख्य कड़ी हैं, उन्होंने सिर्फ नोटिस जारी कर विभाग की सबसे छोटी मछली को बड़े जाल में फंसाने की कोशिश की है।

मिली खराब गुणवत्ता, मात्रा भी कम: शशि
वार्ड क्र. 2 के पार्षद शशि शर्मा ने वार्ड की तीन आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर निरीक्षण किया। भोजन की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी नहीं मिली। नाश्ते के लिए करीब चार सौ ग्राम चने और भोजन के लिए पतली दाल और चाबल मिले। जबकि इस आंगनबाडिय़ों पर 60-65 बच्चों का भोजन प्रतिदिन दर्ज कराया जाता है। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट रूप से कहा कि वह अधिकारियों के कहने पर उपस्थित संख्या से अधिक बच्चों का भोजन दस्तावेजों में उल्लेखित नहीं करें और न ही खाने की गुणवत्ता खराब होने पर उसे अच्छा दर्ज करें। श्री शर्मा ने संकल्प व्यक्त किया कि अब वह आंगनबाडिय़ों पर नियमित निरीक्षण करेंगे और मासूमों के हक के लिए लगातार लड़ते रहेंगे।

आंगनबाडिय़ों पर पहुंचे जनप्रतिनिधि
आंगनबाडिय़ों पर मासूमों के पोषण आहार में गड़बड़ी एवं खराब गुणवत्ता को उजागर करने के लिए ‘स्वदेश’ के अभियान से जुडक़र शहर के जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र की आंगनबाडिय़ों का निरीक्षण किया। वहीं कई जन प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र की आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर निरंतर खाने की गुणवत्ता जांचने एवं इसके विरुद्ध लड़ाई लडऩे का संकल्प लिया।

दर्ज की जा रही है अधिक मात्रा
कृष्णराव दीक्षित (नेता प्रतिपक्ष न.नि.ग्वालियर) ने अपने वार्ड के आंगनबाड़ी केन्द्र रसूलाबाद क्र. 3 पर पहुंचकर मासूमों का पोषण आहार जांचा। न तो भोजन की गुणवत्ता ही ठीक मिली और न ही पर्याप्त मात्रा ही मिली। पोषण आहार जितने बच्चों का उपलब्ध कराया जा रहा है। उससे कई गुना अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से रजिस्टर में दर्ज किया हुआ मिला। हालांकि उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को इस तरह का नियम विरुद्ध कार्य नहीं करने का अनुरोध किया।

दबंगों ने दबा दी मेरी आवाज: हेमन्त
‘स्वदेश’ द्वारा मासूमों के हक की आवाज उठाए जाने के बाद महलगांव निवासी समाजसेवी एवं आरटीआई कार्यकर्ता हेमन्त शर्मा ने ‘स्वदेश’ से संपर्क कर बताया कि मासूमों के हक के पोषण आहार की डकैती की आवाज उन्होंने भी कुछ समय पूर्व उठाई थी। लेकिन दबंग ठेकेदारों और अधिकारियों ने अपने प्रभाव के चलते उसकी आवाज को दबा दिया। अब ‘स्वदेश’ के इस अभियान से उन्हें संबल मिला है। इस कारण वह मासूमों को उनका अधिकार दिलाने के लिए साथ मिलकर लड़ाई लडऩा चाहते हैं।

इनका कहना है
‘स्वदेश’ की खबर पर संज्ञान लेकर कार्रवाई के प्रथम चरण में नोटिस दिया गया है। नोटिस के जवाब के आधार पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। शीघ्र ही आपके साथ भी आंगनबाडिय़ों पर जाकर जमीनी हकीकत देखूंगा।’

बृजेश त्रिपाठी
जिला कार्यक्रम अधिकारी
महिला एवं बाल विकास विभाग ग्वालियर

Updated : 22 Dec 2016 12:00 AM GMT
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