आदिवासियों ने भरी हुंकार हमारी जमीनें वापस करो

मेला परिसर में राष्ट्रीय चेतावनी सम्मेलन में जुटे हजारों आदिवासी
ग्वालियर। हजारों आदिवासी और गरीब किसानों ने रविवार को ग्वालियर व्यापार मेला मैदान पर जल, जंगल और जमीन को लेकर हुंकार भरी। आदिवासियों ने समवेत स्वर में कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भूमि सुधार कानून लागू होने तक हम चुप नहीं बैठेंगे। राष्ट्रीय चेतावनी सम्मेलन में पहले दिन इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भूमि सुधार लागू करने की मांग के लिए ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर में वर्ष 2007 के जनादेश आंदोलन में 25 हजार और दूसरी बार वर्ष 2012 के जनसत्याग्रह में मेला मैदान से एक लाख लोगों ने दिल्ली तक पैदल कूच किया था, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को अब तक स्वीकार नहीं किया है।
नेताओं ने कहा कि भूमि सुधार का आगरा समझौता लागू नहीं होने से हमारे साथी स्वयं को ठगा महसूूस कर रहे हैं। इस कारण से हमें राष्ट्रीय चेतावनी आंदोलन के बाद एक बड़ा जनांदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। राष्ट्रीय चेतावनी आंदोलन में जल, जंगल और जमीन के नारे के साथ ग्वालियर जिला सहित छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, आसाम, केरल के हजारों आदिवासी और गरीब किसानों ने मेला मैदान में डेरा डाल रखा है।
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रनसिंह परमार ने बताया कि पूरे देश के लाखों आदिवासी और गरीब किसान अपनी जमीन का अधिकार प्राप्त करने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उनके परिवार बिखर गए हैं। इन्हीं के हक के लिए हम हजारों साथियों के साथ अपनी मांग जैसे भूमि सुधार नीति, आवासीय भूमि अधिकार कानून, भूमि प्रकरणों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट, राष्ट्रीय भूमि आयोग एवं वन मान्यता अधिनियम टास्क फोर्स के गठन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आंदोलन को एकता परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनिल भाई, प्रांतीय समन्वयक दीपक, संयोजक श्रद्धा बहन ने भी संबोधित किया।