अनाथ प्रीती संग मनोज ने लिए सात फेरे, माधव बाल निकेतन में हुआ विवाह
X
ग्वालियर। जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं यहां तक कि अपने अपनों से बिछुड़ जाएं मगर सात फेरों के बंधन का संयोग जिसके साथ होता है, उसके संग जीवनभर का नाता जुड़ ही जाता है। ऐसा ही कुछ सोमवार को लक्ष्मीगंज स्थित बेसहारा बच्चों का आसरा माधव बाल निकेतन में देखने को मिला। यहां हुए एक विवाह में चार वर्ष की उम्र में जिस लडक़ी के माता-पिता बचपन में ही एक दुर्घटना में उससे दूर हो गए थे उसका विवाह ें दतिया निवासी मनोज प्रजापति से वैदिक रीति रिवाज से कराया गया। इस अवसर पर वर-वधु को महापौर विवेक शेजवलकर एवं पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने आशीर्वाद भी प्रदान किया।
हंसने और खेलने की उम्र में चार वर्ष की प्रीती के सिर से उसके माता-पिता का साया उठ गया था। इस दुनिया में यह छोटी सी बच्ची एकदम अनाथ हो गई थी। दुनिया में उसका कोई नहीं था। कुछ समय तो मोहल्ले और पड़ोस वालों ने साथ दिया, लेकिन धीरे-धीरे उसमें भी कमी आने लगी , तभी पड़ौस में रहने वाली मुंह बोली बुआ ने प्रीती को माधव बाल निकेतन में भर्ती करा दिया।
प्रीती ने कक्षा आठ तक शिक्षा ग्रहण की है। प्रीती का कन्यादान इसके फुफेरे भाई इन्द्रजीत यादव ने सपत्नीक किया। प्रीती के विवाह पर आश्रम की ओर से उपहार स्वरूप नवदम्पत्ति को ग्रहस्थी की कई वस्तुएं भी प्रदान की गईं। मनोज प्रजापति वाहनों को सुधारने का काम करता है। इस विवाह समारोह में संस्था के अध्यक्ष राकेश रायजादा, चेयरमेन जे.पी. सक्सेना, सचिव बी.डी. कुलश्रेष्ठ, उपाध्यक्ष श्रीमती इंदिरा मंगल, रतन प्रभा कदम, श्रीमती कांता सहगल, पवन भटनागर, जिला महिला सशक्तिकरण की आरती खेडक़र, ज्योति कक्कड़ आदि उपस्थित थे।
इनका कहना
‘मुझे इस आश्रम में अपने माता-पिता जैसा बेहद प्यार मिला है। आज इनसे दूर होते हुए मुझे दुख हो रहा है। में इस जगह को अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकूंगी।’
प्रीती यादव, दुल्हन
‘माधव बाल निकेतन बेसहारा बच्चों का सहारा बना हुआ है। हम सभी के सहयोग से गरीब कन्याओं का विवाह करते हैं।’
श्रीमती इंदिरा मंगल, उपाध्यक्ष
‘इन बच्चियों को उनका घर मिल जाए और यह एक अच्छा जीवन शुरू करें यही हमारा लक्ष्य है।’
सीमा सक्सेना, प्रभारी इंचार्ज
‘मैं इस आश्रम से कई वर्षों से जुड़ी हूँ। प्रीती से मेरी मुलाकात इसकी बीमारी के दौरान हुई। आज इसका घर बसता देखकर मन को बेहद प्रसन्नता हो रही है।’
काजल जादौन, ज्वाला शक्ति संगठन सचिव
‘मैने भी अपने जीवन का बहुत समय इस आश्रम में गुजारा है। यहां सभी व्यवस्थाएं हैं। इस आश्रम से ही मेरा विवाह हुआ है। आज में बहुत खुश हूँ।’
कंचन पवार
‘यह बच्ची बचपन में बहुत बीमार रहती थी। आज यह दूसरे घर जा रही है तो बहुत चिंता हो रही है कि यह वहां अब कैसे रहेगी।’
राजा देवी माहौर, आश्रम कर्मचारी