आपस में चलते लात-घूंसों को कैसे रोकेगी कांग्रेस

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-मिशन-2017 के बीच नहीं धम रही पार्टी में गुटबाजी
-अपने ऊपर हुए हमले की कर्नल उमेश वर्मा ने की हाईकमान से शिकायत
आगरा। लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस की डूबती नईया पार होने का नाम ही नहीं ले रही है। गुटबाजी के कारण हाशिए पर गई कांग्रेस की जिले में हालात यहां तक पहुंच गई है कि पार्टी के कार्यकर्ता खुले आम झगड़ रहे और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिशों में लगे है। रविवार को कांगे्रस के की ओर से उत्तर विधानसभा के संभावित प्रत्याशी व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी कर्नल उमेश वर्मा के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई लात-घंूसों से पिटाई ने साबित कर दिया कि फिलहाल कांगे्रस का गुटबंदी से उबरना कम-कम से 2017 में तो संभव नहीं है।
क्या था पूरा मामला
रविवार को बाबू स्मारक संघर्ष समिति की ओर से शहीद स्मारक पर नोटबंदी के खिलाफ धरना प्रदर्शन था। कांग्रेसी नेता तजेंद्र राजौरा संगठन के संयोजक थे। कार्यक्रम में कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के चेयरमैन राम टंडन भी आमंत्रित थे। दोपहर करीब 3 बजे उनसे मिलने पूर्व पोस्टमास्टर जनरल रिटा. कर्नल उमेश वर्मा अपने साथियों के साथ शहीद स्मारक पहुंचे। परंतु तब तक राम टंडन वहां से जा चुके थे। वहां उमेश वर्मा को घेरकर लात-घूंसों से पिटाई की गई। उमेश वर्मा का कहना है कि बाद में उन्हें पता चला की उपरोक्त हमलावरों का नेतृत्व तजेंद्र राजौरा कर रहे थे। हमलावर उनके द्वारा उत्तरी विधानसभा से टिकट मागे जाने को लेकर नाराज थे। घटना के बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, मगर तब तक मामला शांत हो गया था। हालाकि, बाद में उमेश वर्मा की तहरीर के आधार पर हरीपर्वत थाने में तेजेंद्र राजौरा और उनके साथियों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया था।
मामले पर क्या बोले कांग्रेसी
सोमवार को उप्र कांग्रेस कमेटी के पूर्व सदस्य, आगरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेसी गोविंद अग्रवाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। गोविन्द अग्रवाल ने कहा कि टिकट की लाइन में लगे उमेश वर्मा अभी संभावित प्रत्याशी हैं। पहले तो उन्हें बगैर निमंत्रण के बापू स्मारक समिति के कार्यक्रम में जाना ही नहीं चाहिए और अगर गये भी थे तो अपने धैर्य पर नियंत्रण रखना चाहिए था। उत्तेजित होना या किसी कार्यकत्र्ता पर अपना गुस्सा उतारना संभावित प्रत्याशी का कार्य नहीं है क्योंकि यह टिकट की लड़ाई तब तक रहती है जब तक टिकट हासिल नहीं हो जाता है। उन्होंने पार्टी के शहर अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष को मध्यस्थता करके इस झगड़े को समाप्त करवाने की बात कही।
क्या कहते है तजेंद्र राजौरा
इस बारे में तजेंद्र राजौरा ने कहा कि जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। वह और उनके समर्थक कर्नल उमेश वर्मा से परिचित नहीं हैं। कर्नल कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे, जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं के साथ उनका विवाद हुआ। उन्होंने तो बीचबचाव किया था।
कर्नल उमेश वर्मा ने की प्रदेश अध्यक्ष से शिकायत
सोमवार को स्वदेश संवाददाता को कर्नल उमेश वर्मा ने बताया कि पूरे मामले की शिकायत कांग्रेस हाईकमान व प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के अलावा अनुशासन समिति से कर दी गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी में गुंडा-गर्दी उनकी व पार्टी की छवि के विरूद्ध है। वैसे आपको बता दें कि साफ-सुथरी छवि व प्रशाशनिक सेवाओं के अनुभव के चलते कर्नल उमेश वर्मा को पार्टी हाईकमान का समर्थन है। हाल के दिनों में वह स्वच्छिक सेवानिवृति लेकर कांग्रेस में आए हैं और उत्तर विधानसभा से चुनावी ताल ठोक रहे हैं।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
मारपीट की घटना के बावजूद जिला और शहर कांग्रेस का संगठन अंजान बना रहा। इससे घटना ने वर्षो पहले की उस घटना की याद दिला दी, जब पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश बाबू शर्मा के साथ कांग्रेसी नेता बनवारी लाल यादव ने मारपीट कर उन्हें जख्मी कर दिया था। यह घटना भी आज काग्रेसियों में चर्चा का विषय रही।
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