असम में विफल रहा वाम दलों का भारत बंद
X
गुवाहाटी, 28 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 500 व 1000 रुपए के नोट को चलन से बाहर किए जाने के विरोध में सोमवार को राजधानी गुवाहाटी के साथ ही पूरे असम में वामपंथी पार्टियों के साथ ही अन्य कुल 10 दलों के संयुक्त आह्वान पर भारत बंद का आयोजन किया गया। लेकिन बंद का राज्य में कोई असर दिखाई नहीं दिया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व वाम दलों समेत कुल 15 पार्टियों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। लेकिन बाद में कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने अपने आपको बंद से अलग कर लिया। बंद का असम की राजधानी गुवाहाटी समेत पूरे राज्य में कहीं भी कोई प्रभाव नहीं दिखा। रोज की तरह शहरों में दुकान, प्रतिष्ठान खुले। सड़कों पर यातायात भी रोज की तरह ही दिखा। राजधानी गुवाहाटी में बंद का कहीं पर भी नामो-निशान नहीं दिखा। सुबह से ही स्वाभाविक रूप से सभी कुछ सामान्य रहा। गुवाहाटी में सुबह से ही सरकारी व निजी सिटी बस व अन्य वाहन सड़कों पर पूरी तरह से चलते दिखे। वहीं दुकान, प्रतिष्ठान, स्कूल, कालेज सभी खुले रहे।
आम लोग प्रतिदिन की तरह अपने कामकाज में मशगूल दिखे। बाजारों में भी अन्य दिनों की तरह चहल-पहल रही। कई स्थानों पर बंद का विरोध करते हुए भी लोगों को देखा गया। भारत बंद का आह्वान करने वाले दलों में सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), समाजवादी पार्टी, एलीडीपी, असम संग्रामी मंच, आम आदमी पार्टी, जनता दल (एस), आरसीपीआई और एआईएफबी शामिल थीं। भारत बंद के समर्थकों द्वारा सोमवार की सुबह दिघलीपुखऱी से रिजर्व बैंक की ओर एक विरोध रैली निकाली गई। मौके पर मौजूद पुलिस ने रैली को आगे नहीं बढ़ने दिया। पुलिस द्वारा बाधा दिए जाने के चलते प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ बहस होने लगी।
स्थिति को उत्तेजित होते देख पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर पान बाजार थाने ले आई। वहीं कुछ प्रदर्शनकारी राजधानी के फैंसी बाजार इलाके में भी विरोध रैली निकालकर दुकानों को बंद कराने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। मोदी सरकार के नोटबंदी से परेशान होने के बावजूद सोमवार को आम लोगों ने खुलकर समर्थन किया। साथ ही लोग बंद संस्कृति को समाप्त करने की मांग की।