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कुंभकर्णी नींद में नौकरशाही, मामला निराश्रित बच्ची के भविष्य से खिलवाड़ का

कुंभकर्णी नींद में नौकरशाही, मामला निराश्रित बच्ची के भविष्य से खिलवाड़ का
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ग्वालियर। जिला चिकित्सालय मुरार के चिकित्सकों द्वारा सारे नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल में भर्ती निराश्रित बच्ची को स्वयं ही उसके संदेहास्पद माता-पिता को सौंपने के मामले का खुलासा होने के ७२ घंटे यानि ३ दिन बीत जाने के बाद भी सभी संबधित विभाग चुपचाप बैठे हैं तथा बार-बार जानकारी प्राप्त करने पर भी मामले को टालने की कोशिश कर रहे हैं। किसी को भी यह चिंता नहीं है कि बच्ची कहां है? किसके पास है? तथा क्या बच्ची सही माता-पिता के पास है? इसके साथ ही जो इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की है? उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल मुरार में पिछले दिनों दो निराश्रित बच्ची लालन-पालन के लिए भर्ती कराई गई थी। इसमें से एक बच्ची का जन्म कमलाराजा अस्पताल में २२ अक्टूबर २०१६ को हुआ था तथा दूसरी बच्ची भितरवार डबरा से लाकर मुरार अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। जब इन दोनों बच्चियों के पालकों का पता नहीं चला तो इन्हें निराश्रित घोषित कर अस्पताल प्रबंधन मुरार की देखरेख में जिला अस्पताल मुरार में लालन-पालन के लिए भर्ती किया गया, अब अस्पताल प्रबंधन की नियमानुसार यह जिम्मेदारी थी कि दोनों बच्चियों की जानकारी जिला महिला सशक्तिकरण विभाग एवं बाल कल्याण समिति को देकर दोनों बच्ची उनके सुपुर्द करनी थीं, लेकिन ऐसा न करते हुए कुछ दिनों बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक बच्ची को स्वयं ही बच्ची के संदेहास्पद माता-पिता को सौंप दिया। जब इसकी जानकारी एक सामाजिक संस्था को लगी तो उन्होंने जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी एवं बाल कल्याण समिति के सदस्यों को इसकी जानकारी दी तथा मामले में कार्यवाही करने का आग्रह किया, लेकिन उक्त दोनों संस्थाओं के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया तथा मामले में टाल मटोल करते रहे तथा फिर जब इसकी पड़ताल स्वदेश ने की तो मामले में घोर लापरवाही की बात का खुलासा हुआ। इसको लेकर जब अधिकारियों से बात की तो उन्होंने शीघ्र आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया था, लेकिन उक्त खबर के प्रकाशन के ७२ घंटे के बाद भी जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी एवं बाल कल्याण समिति ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। हालांकि इस मामले बाल कल्याण समिति के सदस्य दीपक खरे का कहना है कि उन्होंने पत्र लिख दिया है यदि ३ दिन में जबाव नहीं आया तो दोबारा स्मरण-पत्र भेजेंगे।

जिलाधीश ने नहीं उठाया मोबाइल, संभागायुक्त बोले होगी जांच
इस मामले में जिलाधीश डॉ. संजय गोयल से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। वहीं जब संभागायुक्त एस एन रूपला से बात की गई तो उनका कहना था कि मामला गंभीर है कल मैं इस मामले की जानकारी लेकर पूरी जांच कराता हूं, जो भी लापरवाही होगी उस पर कार्यवाही की जाएगी।

Updated : 23 Nov 2016 12:00 AM GMT
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