देशभक्ति की परीक्षा
हम में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने न तो भारत - पाकिस्तान का युद्ध देखा होगा और न ही बांग्ला देश के साथ हुई लड़ाई। ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले बहादुर जांबाजों के किस्से तो बहुत सुने हैं लेकिन वे इस लड़ाई का हिस्सा नहीं बन सके। जब इन बहादुर जांबाजों के किस्से हम सुनते हैं तो कई बार मन में सवाल आता है कि काश हम भी उस लड़ाई में शामिल होते या वह दौर देखा होता जब आजादी के लिए लोग अपनी जान की बाजी लगा रहे थे। पाकिस्तान के पाले पोसे आतंकी जब हमारे देश पर हमला करते हैं, तब सभी देशवासियों की भुजाएं फडक़ने लगती हैं और चारों दिशाओं से एक ही बात गूंजती है कि अब तो पाकिस्तान पर हमला कर ही देना चाहिए। हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा किया भी। सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को सबक सिखाया भी। कुछ हद तक सीमा पार से होने वाली आतंकी घटनाओं में कमी भी आई। लेकिन देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने जो निर्णय लिया वास्तव में वह आतंकियों को सबक सिखाने के लिए बहुत बड़ा निर्णय कहा जा सकता है। देश के हालात इन दिनों कुछ ऐसे ही हैं, पड़ौसी देश आतंकियों को पनाह देकर हमारे देश में हमले करवा रहा है। कई निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। देशवासियों की सुरक्षा में तैनात चौबीस घंटे चौकस रहने वाले सैनिक अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। हम भले ही देश के लिए अपनी जान नहीं दे सकते हों लेकिन एक हजार व पांच सौ रुपए के नोट बंद करने के बाद जो परेशानियां हमारे सामने आ रही हैैं, उसका तो सामना कर ही सकते हैं। देश की अर्थव्यवस्था को जिस तरह से पाकिस्तान खोखला करने में लगा हुआ था, उसका जवाब युद्ध से नहीं, बल्कि उसके द्वारा भेजे जा रहे नकली एक हजार व पांच सौ के नोटो को चलन से बाहर करके ही दिया जा सकता है जिसका निर्णय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया भी। अब परीक्षा की घड़ी हमारी है। देशभर से जो खबरें आ रही है, वह वास्तव में विचलित करने वाली हैं। लोगों को इस समय धैर्य व संयम बरतने की जरूरत है न कि अफवाहों पर ध्यान देकर गलत कदम उठाने की। यह परेशानी कुछ दिनों की है। उसके बाद देश की जो छवि बनेगी, वह अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक अच्छी होगी। सोचिए जब देश की आजादी के लिए जंग लड़ी गई होगी, तब कितने परिवारों ने कष्ट उठाया होगा, कितनों ने अपनी जान गंवाई होगी, कितनी मां बहनें विधवा व पहनने के लिए मजबूर हुई होंगी। अगर आप कल्पना करेंगे तो रोंगटें खड़े हो जाएंगे। उस तुलना में यह परेशानी कहीं नहीं है। एक सच्चे देशभक्त होने की परीक्षा की घड़ी यही है। हम सबको धैर्य के साथ देश के प्रधानमंत्री पर विश्वास करना होगा।