कभी था चौक अब हो गया सराफा बाजार
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ग्वालियर स्थित सराफा लगभग 150 वर्ष पुराना है। यहां के व्यापारी लगभग चार पीढिय़ों से सोना-चांदी का कारोबार कर रहे हैं। यहां 90 दुकानें हैं। इस बाजार को पहले पुराना चौक के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज इसकी पहचान सराफा बाजार के नाम से है। यूं तो यहां सोना-चांदी के साथ ही कपड़ा, रेडीमेट गारमेन्ट, किराना एवं बर्तन आदि की दुकानें भी हैं। लेकिन अधिकतर स्वर्ण कारोबारी हैं।
अरुण शर्मा/ग्वालियर। उपनगर ग्वालियर में स्थित सराफा बाजार कभी चौक बाजार के नाम से जाना जाता था। लगभग डेढ़ शताब्दी पुराने इस बाजार में आज अधिकतर सोना-चांदी का कारोबार होता है। इसके चलते बदलते समय के साथ इसका नाम भी बदल गया। ग्वालियर किले से सटे इस बाजार में लगभग 90 दुकानें हैं।
संकरा और छोटा है बाजार
क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी छोटा और सकरा यह बाजार नूरगंज, कोटेश्वर और हजीरा क्षेत्र को जोड़ता है। त्यौहारी सीजन में यहां की रौनक कई गुना बढ़ जाती है। इस बाजार में मुख्यत: स्वर्ण, कपड़ा, रेडीमेट गारमेन्ट्स, किराना एवं बर्तन आदि का कारोबार होता है लेकिन इसकी मूल पहचान सराफा बाजार के नाम से ही है।
बहुत कम आते हैं बड़े खरीदार
उपनगर ग्वालियर के व्यापारियों ने बताया कि इस बाजार में बड़े खरीदार बहुत कम आते हैं। बाजार सकरा होने के कारण और ठेले वालों के यहां खड़े रहने से दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। व्यापारियों की मानें तो बड़े व्यापारियों का लगाव नहीं होने से यहां का व्यापार धीरे-धीरे चौपट होता जा रहा है।
ये हैं विशेषताएं
*यहां सोना और चांदी का कारोबार करने वाले पिछली पीढिय़ों से यहीं निवास भी कर रहे हैं।
* किले का मुख्य द्वार होने के कारण यहां देशी और विदेशी सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है।
* यहां बाबा कपूर की 250 वर्ष पुरानी दरगाह भी है।
ये हैं समस्याएं
*यहां मुख्य रूप से पार्किंग की समस्या है।
* स्वच्छ जल और शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। -
* रात में पुलिस का गश्त बहुत ही कम होता है।
* यह बाजार सकरा है, इसके साथ ही ठेले खड़े हो जाने से दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।
इनका कहना है
दीपावली का समय नजदीक आ रहा है। बाजार में लेन-देन का काम अधिक होगा। ऐसे में प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, जिससे बाजार में किसी प्रकार की कोई अनहोनी न हो सके।
जवाहर जैन, अध्यक्ष
ग्वालियर सराफा बाजार
‘बाजार का स्वरूप बदलने की आवश्कता है। इसका चौड़ीकरण होने के साथ ही पार्किंग व्यवस्था बहुत ही जरूरी है।’
अभिषेक गोयल
सचिव,ग्वालियर सराफा बाजार