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हम करें राष्ट्र आराधन

हम करें राष्ट्र आराधन
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किसी भी राष्ट्र की मजबूती के पीछे वहां निवास करने वाले जन के राष्ट्रभाव और देशभक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस दृष्टि से भारत की बात की जाए तो हम बहुत सौभाग्यशाली हैं। जब भी देश के लिए जन की जागरुकता की जरूरत पड़ी है हमारे देशभक्त नागरिकों का जोरदार राष्ट्रभाव देखने को मिला है। शायद इसी कारण किसी ने ठीक ही लिखा है। यूनान मिश्र रोमां सब मिट गए जहां से कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। हम इसी राष्ट्रभाव से प्रेरित जनशक्ति के कारण युगों-युगों से कायम हैं। मुगल आए फिर अंग्रेज आए लेकिन हमारे जन की राष्ट्रनिष्ठा का ही यह परिणाम है कि गुलामी की बेडिय़ां टूटने को मजबूर हुई। आज के विश्व पटल पर भारत जहां सबसे बड़ा लोकतंत्र है वहीं पूरी दुनिया एक बड़े बाजार के रूप में भी हमें निहार रही है। ऐसी स्थिति में जरूरत है बेहद चौकन्ने रहने की। इस लिहाज से भी हमारे देशवासियों ने पिछले एक महीने में जो जागरुकता प्रदर्शित की है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हमारे देशवासियों ने अपने सबसे बड़े और प्रबल शत्रु चीन को जिस अहिंसक तरीके से जवाब दिया है वह बहुत प्रशंसात्मक है। सोशल मीडिया से शुरु हुई चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम को सरकार ने भी समर्थन दिया और अब पूरा देश जैसे इसमें शामिल हो गया है। जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद उत्साहजनक कहे जा सकते हैं।

चीनी सामान की बिक्री में 20 से 25 प्रतिशत तक की गिरावट का समाचार है। इतना ही नहीं दीपावली के मौसम में जिन स्थानों खासकर चीनी झालर, पटाखे आदि की दुकानों पर भीड़ दिखाई देती थी वहां लोग इस सामान का बहिष्कार कर भारत का सामान मांगते दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में भारत सरकार की भी जितनी तारीफ की जाए कम है। तमाम वैश्विक संधियों और समझौतों की चिंता न करते हुए उसने देशवासियों से चीनी सामान की खरीददारी न करने का आग्रह किया है। वास्तव में यह एक साहसभरा कदम है। इतना सब होने के बावजूद आज भी हमारे देश का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस मुहिम में शामिल नहीं है। सोशल मीडिया में हमारे देश में तमाम वामपंथी विचारधारा के लोग अपरोक्ष रूप से चीन के समर्थन में खड़े होकर इसे राजनीति से जोडऩे के कुत्सित प्रयास में जुटे हैं। वे कह रहे हैं कि सरकार चीन के सामान पर रोक क्यों नहीं लगा रही? अब भला इन्हें कौन समझाए कि वैश्वीकरण के इस युग में अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

ऐसी स्थिति में देश के नागरिकों की जागरुकता ही प्रमुख हथियार है। सरकार को जो करना है वो करेगी क्या एक देशभक्त नागरिक होने के नाते हमारा कोई कर्तव्य नहीं। खैर यह वामपंथी वही हैं जिन्होंने 1962 में चीन युद्ध के समय तक में भारत की जगह चीन का ही साथ दिया था, अत: इनकी बातों पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत नहीं है। हमें तो केवल यह याद रखना है कि जो पाकिस्तान हमारे कश्मीर पर नजर गड़ाए है, हमारे सैनिकों की हत्या कर रहा है, हमें तबाह करने के लिए हमारे देश में आतंकवादी भेज रहा है तथा हमें रोज धमकियां दे रहा है। चीन उसी पाकिस्तान को अपना सबसे मजबूत मित्र बताकर हर तरह का सहयोग कर रहा है। अत: ऐसे देश का सामान क्या हमें खरीदना चाहिए? इस देश को जवाब देने का इससे अच्छा तरीका दूसरा नहीं कि पूरा देश एक स्वर में चीनी सामान के बहिष्कार का नारा बुलंद करे और यह संकल्प करे कि इस दीपावली में एक भी चीनी सामान अपने घर नहीं लाएंगे।


Updated : 20 Oct 2016 12:00 AM GMT
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