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देशभक्ति और चीनी सामान

देशभक्ति और चीनी सामान
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हमारे देश में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उनके जीवन में कुछ न कुछ ऐसा घटित हुआ है, जिससे देश भाव का साक्षात प्रकटीकरण हुआ है और उससे पूरे देश की जनता ने प्रेरणा प्राप्त की। उसी प्रेरणा से हमारे देश का युवा आज भी आप्लावित है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने मन से कभी भी अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की।

बचपन से ही उनके मन में भारत के प्रति अप्रतिम तादात्म्य रहा। उसी के फलस्वरुप उन्होंने अंगे्रजों की महारानी के जन्म दिवस पर वितरित की जाने वाली मिठाई को एक कोने में फेंक दिया। बचपन की अवस्था में प्रस्फुटित यह भाव उनके जीवन में हमेशा दिखाई दिया। इसी प्रकार के जीवन से प्रेरणा लेकर देशवासियों के रोम-रोम में भारत की भक्ति का प्राकट्य होता रहता है। हालांकि इस दिशा में हमारे में कई राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय भावना को जगाने का अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं और करना भी चाहिए। क्योंकि वर्तमान में देश में कई प्रकार की विसंगतियों का प्रादुर्भाव हुआ है। जिनको मात्र देश भाव के प्रकटीकरण से ही दूर किया जा सकता है। वर्तमान में पड़ौसी देश पाकिस्तान का पूरी तरह से साथ निभा रहे चीन का भारत के बाजारों पर कब्जा है। यहां तक कि बिना चीनी वस्तुओं के हमारे देश में दीवाली के दिए भी नहीं जलाए जाते। इस सबके बाद भी प्रसन्न करने वाली बात यह कही जा सकती है कि विगत मात्र दस दिनों में चीनी सामान की खरीददारी करने वाले लोगों की संख्या में 25 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा रही है। इस गिरावट को देखते हुए फिलहाल चीन ने अपनी नीतियों में तैयारी करने की योजना बनाई है। चीन चाहता है कि उसके लिए भारत का बाजार बंद नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत भारत के लोगों में देश भाव के उभार के चलते बिना गारंटी और अविश्वसनीय चीनी सामान के प्रति लगाव कम होता जा रहा है।

चीन ने जिस प्रकार से पाकिस्तान का साथ दिया है, उससे यह हश्र होना स्वाभाविक ही था। पहले चीन को लगता था कि भारत की जनता मूर्ख है, जो हमारे सामान को खरीदती है। लेकिन चीन को झटका उस समय लगा, जब भारत की जनता ने देशभक्ति का परिचय देते हुए चीनी सामानों को खरीदना ही बंद कर दिया। इसके बाद भी हमारा देशवासियों से मात्र इतना ही अनुरोध है कि जब सभी राष्ट्र अपनी राष्ट्रीयता के साथ दुनिया में खड़े हैं, ऐसे में हम भारत के नागरिकों को भी खड़ा होना होगा। इस दीपावली पर देश भाव का प्रकटीकरण करें और चीनी सामान का पूरी तरह से परित्याग करें। ऐसा करने से चीन पूरी तरह से टूट जाएगा और वह भारत के सामने नतमस्तक होगा, यह तय है। हमारे यहां सांस्कृतिक रुप से यह कहावत प्रचलित है कि दीपावली पर जब तक मिट्टी का दीपक नहीं जलाया जाएगा, तब तक दीपावली अधूरी ही मानी जाएगी। मां लक्ष्मी के समक्ष पुरातन काल से चली आ रही मिट्टी के दीपक जलाने की परंपरा ऋषि मुनियों द्वारा प्रारंभ की गई शाश्वत परंपरा का हिस्सा है, सब जानते हैं कि शाश्वत परंपराओं में कभी बदलाव नहीं किया जा सकता, लेकिन हमने अपने जीवन में सभी विधानों का संक्षिप्तीकरण कर दिया। पूजा पद्धति का संक्षिप्तीकरण करना किसी भी प्रकार से सही नहीं है। मंत्र शक्ति भी केवल तभी काम करती है, तब पूजा पूरे विधि विधान से हो। विधान से पूजा करने के लिए विद्युतीय दीपक नहीं, बल्कि मिट्टी के दीपक जलाने की आवश्यकता है।

Updated : 19 Oct 2016 12:00 AM GMT
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