पवैया ने खड़ा किया प्रासंगिक सवाल - कर्तव्य पर कोई बहस क्यों नहीं
मध्य भारत शिक्षा समिति का अमृत महोत्सव एवं पूर्व छात्र सम्मेलन सम्पन्न
ग्वालियर, न.सं.। मध्य भारत शिक्षा समिति का दो दिवसीय अमृत महोत्सव आज शिक्षा जगत के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव का साक्षी बना है। समिति के माध्यम से संचालित प्राथमिक से लेकर उच्च एवं व्यवसायिक पाठयक्रम की संस्थाओं से शिक्षा प्राप्त देश भर के पूर्व छात्रों ने पूरे दो दिन एक साथ रहकर विविध सत्रों में न केवल सारगर्भित चर्चा की अपितु अपनी पुरानी यादें भी ताजा कीं। इसी कड़ी में आज गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन का आयोजन एक भावुक क्षण लेकर आया, जब समाज जीवन में समर्पित पूर्व छात्रों ने अपने पूर्व गुरुजनों के चरणों में बैठकर वंदन किया। वहीं समिति ने भी अपने प्रतिभाशाली एवं वयोवृद्ध पूर्व छात्रों का अभिनंदन कर उनको अपनी बीती सुखद स्मृतियों में झांकने का एक अवसर देकर स्तुत्य प्रयास किया।
इस अवसर पर आयोजित अंतिम सत्र में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैय ने एक प्रासंगिक प्रश्न कर सदन को विचार के लिए दिशा दी। श्री पवैया ने कहा कि आज देश में हर जगह अधिकारों की बात है, लेकिन कर्तव्य पर कहीं कोई बहस क्यों नहीं है। शिक्षा में आज मूल्यों की कमी है और हमें फिर वहीं लौटना होगा। श्री पवैया ने बाबा साहब का पुण्य स्मर्ण करते हुए कहा कि अब गोखले जैसे व्यक्ति शिक्षण संस्थान शुरू नहीं करते। अब अपना पैसा ठिकाने लगाने के लिए विश्वविद्यालय शुरू होते हैं। शिक्षा आज भी युवाओं को आत्म जीवी बना रही है। उन्होंने कहा कि वह कौन सी शिक्षा है, जो जेएनयू में भारत की बर्बादी के नारे लगाते हैं। श्री पवैया ने इस संधर्भ में जापान की राष्ट्र भक्ति का भी एक भावुक उदाहरण दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में इससे पूर्व लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह संघचालक अशोक पाण्डे ने भी शिक्षा को नैतिक मूल्यों से जोडऩे की बात कहकर शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर अपनी चिंता प्रकट की। श्री पाण्डे ने लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को आज की दुर्दशा के लिए जवाबदेह बताया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि रामकृष्ण आश्रम के स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज एवं विशिष्ट अतिथि मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र बांदिल उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रघुनाथ के. शेगांवकर ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। तत्पश्चात सेवानिवृत्त गुरुजनों का उनके शिष्यों द्वारा तिलक लगाकर, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह भेंटकर चरण स्पर्श कर सम्मानित किया गया, जिसमें गुरुकुल की परम्परा देखने को मिली। सम्मानित होने वालों में सार्वजनिक माध्यमिक विद्यालय, पी.जी.व्ही. हायर सेकण्डरी स्कूल, माधव महाविद्यालय, पी.जी.व्ही. विज्ञान महाविद्यालय, माधव विधि महाविद्यालय एवं माधव शिक्षा महाविद्यालय के शिक्षक व पूर्व छात्र शामिल थे।
इस अवसर पर मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र बांदिल, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कुंटे व सचिव डॉ. राकेश कुशवाह मंचासीन थे। कार्यक्रम के अंत में माधव महाविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष डॉ. आर.एस. शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा अमृतोत्सव की स्मारिका अमृत गमय का विमोचन भी किया गया।
ख्याति अर्जित करने वाले छात्रों का किया सम्मान
गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन कार्यक्रम में मध्य भारत शिक्षा समिति द्वारा संचालित छह शिक्षण संस्थाओं के सर्वोच्च पदों पर ख्याति अर्जित करने वाले पूर्व छात्रों का भी सम्मान किया गया। इसमें ले. जनरल माधव गोविंद दातार, डॉ. रघुनाथ के. शेगांवकर, राजेन्द्र टेम्बे, डॉ. संजय कुमार पाण्डेय, पंकज खोले, मुख्त्यार सिंह, देवेश अग्रवाल, आकाश अष्ठाना, दिलीप गोडबोले, डॉ. आलोक पुरोहित, श्री हर्षे, हेमंत पौड्रिक, टी.एन. चतुर्वेदी, आदर्श सिमौलिया, मोन्टू गोस्वामी, गौरव शर्मा को अतिथियों द्वारा तिलक लगाकर शॉल, श्रीफल व प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस संस्था के लिए अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं और समिति का मान बढ़ाया है।
इसमें अतुल जी के पिता जी का फोटो लगाना है आवश्यक है
इन्हें भी किया सम्मानित
कार्यक्रम में कुमुदिनी जोशी, शारदा केलकर, मंदाकिनी कान्हेरे, प्रमिला संगमनेरकर, रमाकांत तारे, पद्माकर मोघे, कमल धारकर, बलराम शर्मा, रामसिंह सिकरवार, रामसेवक शर्मा, सीताराम शर्मा, उमाशंकर पाण्डेय, पी.डी. शर्मा, एम.आर. साहू, वेदप्रकाश सचदेवा, ए.जी. नावलेकर, कृष्णा मिश्रा, चिरंजीव शुक्ला, ओ.व्ही. शितोले, शिवाकर ठाकुर, एन.सी. मुले, वसंत अनंत भानू, कमलेश पाण्डेय, अरुण कुमार गर्ग, राजाराम मोघे को भी सम्मानित किया गया।
सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने महाविद्यालय आए आगे
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री श्री पवैया ने कहा कि रोजगारपरक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए महाविद्यालय आगे आएं। प्रदेश सरकार विश्वविद्यालयों से इन कोर्सों की मान्यता दिलाने में महाविद्यालयों की पूरी मदद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में स्नातक स्तर पर नैतिक शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के प्रयास सरकार करेगी। श्री पवैया ने कहा कि नैतिक शिक्षा एक व्यापक विषय है, जिसमें पेड़, जल व पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गर्भ में पल रहीं कन्याओं की हत्या रोकने जैसे गंभीर विषय शामिल हैं।
पाठ्यक्रम में होगा 20 प्रतिशत बदलाव
श्री पवैया ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमारी शिक्षा रोजगार परक कैसे बने तथा शिक्षा को नैतिक शिक्षा से हम कैसे जोड़ सकते हैं। इस ओर उच्च शिक्षा मंत्रालय भोपाल स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रमों में नियम अनुसार 20 प्रतिशत संशोधन करने जा रहा है।