देश को गोखले जी जैसे सेवाभावी लोगों की आवश्यकता: मिश्रा
ग्वालियर, न.सं.। देश में आज भी बाबा साहब गोखले एवं पार्वती बाई गोखले जैसे सेवा भावी लोगों की आवश्यकता है। दोनों के समर्पण से ही आज मध्य भारत शिक्षा समिति अपनी पहचान देश में बना पाई है और मुझे आज इस कार्यक्रम में आकर महसूस हो रहा है कि अभी भी ऐसे बहुत से लोग है जो बाबा साहब गोखले और श्रीमती पार्वती बाई गोखले जी की कमी को पूरा कर सकते हैं। यह कार्य महानगर की मध्य भारत शिक्षा समिति कर रही है। यह बात सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने शनिवार को मध्य भारत शिक्षा समिति द्वारा पार्वती बाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय पूर्व छात्र सम्मेलन के शुभारम्भ अवसर पर मुख्यअतिथि के रूप में कही। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मध्यभारत शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष नरेन्द्र कुन्टे थे। जबकि अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र बांदिल ने की। मुख्य अतिथि श्री मिश्रा ने युवाओं से आह्वान किया कि वह मेहनत और ईमानदारी से शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ें तो भारत निश्चित रूप से एक स्वर्ग भूमि के रूप में स्थापित हो जाएगा। अध्यक्षता कर रहे श्री बांदिल ने अमृतोत्सव के अन्तर्गत आयोजित पूर्व छात्र सम्मेलन को सार्थक प्रयास बताते हुए समिति के कार्यों एवं संस्थान की उपलब्धियां बताईं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे आनन्द करारा ने मध्य भारत शिक्षा समिति द्वारा आयोजित पूर्व छात्र सम्मेलन एवं अमृतोत्सव समारोह के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अध्यक्ष शासी निकाय माधव महाविद्यालय डॉ. आर.एस. शर्मा द्वारा श्री मिश्रा को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात् शिक्षा समिति सचिव डॉ. राकेश कुशवाह, डॉ. राजेन्द्र वैद्य एवं प्रांशु शेजवलकर ने अतिथियों का स्वागत किया । इस दौरान अभिषेक मिश्रा द्वारा एकल गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम् के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन आनन्द करारा एवं आभार प्रदर्शन शासी समिति के सदस्य प्रवीण निवासकर द्वारा किया गया। इस अवसर पर 1941 से 1990 तक के पूर्व छात्र-छात्राएं, महाविद्यालय के शिक्षक एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।
प्रदर्शनी का किया अवलोकन
इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। प्रदर्शनी में पूर्व छात्र-छात्राओं के चित्र तथा महाविद्यालय में हुए विभिन्न कार्यक्रमों को छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था। इस अवसर अतिथियों व अन्य गणमान्यजनों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
समापन कार्यक्रम आज
भूतपूर्व छात्र सम्मेलन का समापन रविवार 16 अक्टूबर को ‘गुरू वंदन छात्र अभिनंदन’ कार्यक्रम सुबह 10 बजे पी.जी.व्ही. महाविद्यालय में आयोजित किया जाएगा। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सांसद अनूप मिश्रा उपस्थित रहेंगे। जबकि शाम 4 बजे आयोजित दूसरे सत्र में मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया एवं पूर्व अध्यक्ष म.प्र. लोक सेवा आयोग अशोक पाण्डे उपस्थित रहेंगे।
सांस्कृतिक संध्या में विद्यार्थियों ने दीं आकर्षक प्रस्तुतियां
ग्वालियर। पूर्व छात्र सम्मेलन के दौरान शाम के सत्र में आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम महाविद्यालय एवं विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा बुन्देली और राजस्थानी गीतों के साथ ही कृष्ण महारास और गणेश वंदना की आकर्षक प्रस्तुति दी गई।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नगरीय विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि कम सुविधाओं में संस्था ने अपने महाविद्यालयों को जिन ऊंचाईयों पर पहुंचाया है उसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं, यदि संस्था को किसी भी रूप में मेरे सहयोग की आवश्यकता है तो मैं इसके लिए हमेशा तैयार हूं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित महापौर विवेक शेजवलकर ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
ये कहा पूर्व छात्रों ने
‘इस प्रकार के कार्यक्रमों से पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। मैंने वर्ष 1976 से 1982 के बीच यहां कक्षा 11 से एमएससी तक की पढ़ाई की है। 34 वर्ष बाद यहां आकर सुखद अनुभूति हो रही है। यहां आकर अपने कई पुराने मित्रों से भी मुलाकात हुई है। ’
दुर्विजय सिंह, पूर्व छात्र
‘मैंने यहां 1987 से 1992 तक बीए व एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में ग्वालियर हाईकोर्ट में वकालत कर रहा हूँ। पहले के छात्रों में आपसी प्रेम था लेकिन अब प्रतिद्वंदिता अधिक दिखाई देती है। आज के विद्यार्थियों में स्वार्थ की भावना दिखाई देती है। गुरू ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें जीने की कला सिखाता है। अत: हमें अपने गुरू के बताए मार्ग पर चलना चाहिए जिससे हम अपने लक्ष्य को हालिस कर सकेें।’
जीतेन्द्र कुमार शर्मा, पूर्व छात्रा
‘आज इस कार्यक्रम के माध्यम से वर्षों पुराने मित्रों से मुलाकात करके बहुत अच्छा लग रहा है। इन मित्रों को देखकर पुरानी यादें ताजा हो उठी हैं। अभी तक में दस से बारह दोस्तों से मुलाकात कर चुका हूं। 1994 की बात है कि हमने अपनी कुछ मांगो को लेकर बिना किसी की इजाजत के एक दिन के लिए कॉलेज बंद का आव्हान किया और बोर्ड पर लिखकर रख दिया कि आज कॉलेज बंद रहेगा। उस समय हमारे किसी भी गुरू ने हमारी बात का विरोध नहीं किया क्योंकि हम अपने गुरू का सम्मान दिल से करते थे। हमारे गुरू भी यह चिंता करते थे कि विद्यार्थियों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। ’
वरुण देव शर्मा, पूर्व छात्र
‘इस समय में बैंक ऑफ इंडिया में एक अधिकारी के रूप में कार्य कर रहा हंू। मैंने यहां 1969 से 73 तक शिक्षा ग्रहण की है। यहां आए सभी दोस्तों को देखकर अच्छा लग रहा है। वर्तमान में विद्यार्थियों में गुरू के प्रति आदर का भाव कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण कहीं न कहीं उनकी शिक्षा में कोई न कोई कमी अवश्य है। यहां के पढ़े विद्यार्थी आज बड़े-बड़े पदों पर हैं। यह सुनकर और देखकर मन को सुकून मिलता है।’
पी.सी. गुप्ता, पूर्व विद्यार्थी
‘मैंने यहां 1971 में शिक्षा ग्रहण की और अब यहीं 1995 से बच्चों को शिक्षा दे रही हूँ। इसके पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य बच्चों को संस्कारवान बनाना है। बच्चों को मुख्य रूप से संस्कार स्कूल और घर से ही मिलते हैं। लेकिन आज देखने में यह भी आ रहा है कि जब बच्चे महाविद्यालयों में आ जाते हैं तो कहीं न कहीं उनके संस्कारों में कमी आ ही जाती है। अत: विद्यार्थियों को चाहिए कि संस्कारों को ध्यान में रखते हुए अपने लक्ष्य की और बढ़ें। ’
श्रीमती लता लघाटे, पूर्व विद्यार्थी एवं वर्तमान में शिक्षक
‘वर्षों पुराने विद्यार्थियों को एक ही मंच पर बुलाना और उन्हें मिलाना एक सुखद अनुभव है, रही बात शिक्षा की तो बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ ही व्यवहारिक शिक्षा का ज्ञान भी होना आवश्यक है। व्यवहारिक शिक्षा के माध्यम से शिष्य के मन में गुरू के प्रति आदर और सम्मान का भाव बढ़ता है। ’
मंगला मिटकर,
शिक्षक