परमाणु बम से क्यों ज्यादा विनाशकारी होता है हाइड्रोजन बम?
नई दिल्ली/ उत्तर कोरिया ने विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों के दबाव के आगे न झुकते हुए बुधवार को हाइड्रोजन बम के सफल परीक्षण का दावा किया। हालांकि शुरुआत में 5.1 की तीव्रता का भूकंप उत्तरी कोरिया के परमाणु परीक्षण केंद्र के पास आने की खबर आई थी, लेकिन जापान ने परमाणु परीक्षण की आशंका जताई थी।
उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करके अमेरिका, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों की नींद उड़ा दी है। हाइड्रोजन बम परमाणु बम की तुलना में काफी शक्तिशाली होता है। आइए एक नजर डालते हैं कि हाइड्रोजन बम और परमाणु बम में क्या अंतर होता है।
परमाणु बम
परमाणु बम नाभिकीय संलयन या नाभिकीय विखण्डन या इन दोनों प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियों के सम्मिलन से बनाया जा सकता है। दोनों ही प्रकार के रिएक्शन के दौरान भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। एक हजार किलोग्राम से थोड़े बड़े परमाणु बम इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है, जितनी कई अरब किलोग्राम के परम्परागत विस्फोटकों से ही उत्पन्न हो सकती है। परमाणु बमों को महाविनाशकारी हथियार कहा जाता है।
द्वितीय विश्वयुद्ध में सबसे शक्तिशाली विस्फोटक 'ब्लॉकबस्टर' का इस्तेमाल किया गया था। इसके निर्माण में 11 टन ट्राईनाइट्रीटोलीन प्रयुक्त हुआ था। इस विस्फोटक से 2000 गुना अधिक शक्तिशाली प्रथम परमाणु बम था, जिसका विस्फोट टीएनटी के 22,000 टन के विस्फोट के बराबर था।
हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बम परमाणु बम का ही एक प्रकार है। हाइड्रोजन बम अधिक शक्तिशाली परमाणु बम होता है। इसमें हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम का प्रयोग होता है। परमाणुओं के संलयन से विस्फोट होता है। इस संलयन के लिए बड़े ऊंचे ताप लगभग 500,00,000° सें. की आवश्यकता पड़ती है। यह ताप सूर्य के ऊष्णतम भाग के ताप से बहुत ऊंचा है।
जब परमाणु बम आवश्यक ताप उत्पन्न करता है तभी हाइड्रोजन परमाणु संलयित होते हैं। इस संलयन से ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं।
सबसे पहले अमेरिका, फिर रूस, चीन और फ्रांस हाइड्र्रोजन बम के परीक्षण कर चुके हैं।
हाइड्रोजन बम होता है ज्यादा विनाशकारी
हाइड्रोजन बम में चेन रिएक्शन फ्यूजन होता है। यह परमाणु बम के मुकाबले कई गुना ज्यादा शक्तिशाली और विनाशकारी होता है। हाइड्रोजन बम में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम की आवश्यकता पड़ती है। हाइड्रोजन बम में परमाणुओं के संलयन करने से विस्फोट होता है। इस संलयन के लिए बड़े ऊंचे ताप लगभग 500,00,000 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता पड़ती है। परमाणु बम से भी इतना ऊंचा ताप प्राप्त किया जा सकता है।
एटम बम के मुकाबले कहीं ज़्यादा खतरनाक होता है हाइड्रोजन बम...
नई दिल्ली: हाइड्रोजन बम के पहले सफल परीक्षण की उत्तरी कोरिया की घोषणा की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। वहां के नेता किम जोंग-उन ने पिछले महीने संकेत दिए थे कि उनके परमाणु-संपन्न देश ने हाइड्रोजन बम भी विकसित कर लिया है। उत्तर कोरिया इससे पहले एटम बम के भी तीन परीक्षण कर चुका है।
आइए जानते हैं, एटम बम की तुलना में हाइड्रोजन बम क्यों ज़्यादा खतरनाक है...
एटम बम की तुलना में हाइड्रोजन बम कहीं ज़्यादा शक्तिशाली आणविक हथियार है...हाइड्रोजन बम से निकलने वाली ऊर्जा एटम बम की तुलना में बेहद ज़्यादा होती है... हाइड्रोजन बम पूरे शहर को एक ही विस्फोट में नेस्तनाबूद कर सकता है... हाइड्रोजन बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विलय (atomic fusion - एटॉमिक फ्यूज़न) से हासिल करता है, जबकि एटम बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विखंडन (atomic fission - एटॉमिक फिशन) से हासिल करता है...
आणविक विलयन तथा आणविक विखंडन दो अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं हैं, जिनसे ऊर्जा निकलती है... विखंडन की प्रक्रिया में प्रत्येक अणु दो या उससे ज़्यादा छोटे और हल्के अणुओं में बंट जाता है...
इसके विपरीत, विलयन के दौरान दो या उससे ज़्यादा छोटे और हल्के अणु मिलकर बड़ा और अधिक भारी अणु बन जाते हैं...
हाइड्रोजन बम में हाइड्रोजन के अणुओं का विलयन इस्तेमाल होता है, इसीलिए इसे हाइड्रोजन बम कहा जाता है...
किसी फ्यूज़न बम को बनाना कहीं अधिक जटिल होता है, क्योंकि इसके लिए कहीं ज़्यादा तापमान - करोड़ों डिग्री सेंटीग्रेड - की ज़रूरत पड़ती है... इस तापमान को पाने के लिए पहले आणविक विखंडन की प्रक्रिया करवाई जाती है, ताकि ज़्यादा ऊर्जा उत्पन्न हो, और फिर उस ऊर्जा के जरिये विलयन शुरू करवाया जाता है... किसी भी फ्यूज़न बम के लिए पहले एक विखंडन उपकरण को चलाया जाना अनिवार्य होता है...
हाइड्रोजन बम को छोटे आकार में बनाया जाना सरल होता है, ताकि उसे मिसाइल में आसानी से फिट किया जा सके...
जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एटम बम गिराए गए थे, और आज तक कभी किसी भी युद्ध में हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल नहीं किया गया है...
यह उत्तरी कोरिया द्वारा किया गया कुल मिलाकर चौथा आणविक परीक्षण है, हालांकि यह पहला फ्यूज़न बम है...