पहले निर्माण, टेण्डर बाद में
केवल चहेते ठेकेदारों को ही दिया जा रहा है काम
ग्वालियर। उच्च स्तर तक तमाम शिकायतें पहुंचने के बाद भी बिजली कम्पनी में चल रहे निर्माण कार्यों में मनमानी और भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालत यह है कि चहेते ठेकेदारों से निर्माण कार्य पहले कराए जा रहे हैं और खाना-पूर्ति के लिए टेण्डर प्रक्रिया बाद में पूरी की जा रही है। इस तरह अधिकारी और ठेकेदार मिलकर कम्पनी के धन को ठिकाने लगाने में जुटे हुए हैं।
किसी भी विभाग में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कराने से पहले प्राक्कलन तैयार किया जाता है। फिर ऑन लाइन टेण्डर आमंत्रित किए जाते हैं। तत्पश्चात दर स्वीकृत की जाती है। उसके बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ होता है, लेकिन बिजली कम्पनी के स्थानीय अधिकारियों ने अन्य सभी विभागों से अलग हटकर नया ट्रेन्ड अपना रखा है।
यहां निर्माण कार्य पहले करा लिया जाता है और टेण्डर व वर्क आर्डर आदि की प्रक्रिया बाद में अपनाई जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि कम्पनी के स्थानीय अधिकारी अपने इस टे्रन्ड को कतईं गलत नहीं मानते। हालांकि अधिकारी इस मामले में औपचारिक रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अनौपचारिक चर्चा में वे यह तर्क देते हैं कि मरम्मत व जीर्णोद्धार जैसे कार्य में पहले से इस बात का अनुमान लगा पाना संभव नहीं है कि उसमें कितना व्यय होगा, इसलिए ऐसे कार्य पूर्ण कराने के बाद ही टेण्डर प्रक्रिया पूरी की जाती है, ताकि कम्पनी और ठेकेदार को कोई आर्थिक नुकसान न हो, लेकिन कम्पनी के सेवानिवृत्त अधिकारी इस तर्क को खारिज करते हुए स्पष्ट करते हैं कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कराने से पहले टेण्डर प्रक्रिया जरूरी होती है। निर्माण कार्य कराने के बाद टेण्डर प्रक्रिया का कोई औचित्य नहीं है।
पुरानी ईंटों से बनाई जा रही है बाउण्ड्री
वर्तमान में रोशनीघर परिसर में पुरानी बाउण्ड्री तोड़कर दोबारा से बनाई जा रही है। सूत्रों की मानें तो यह कार्य भी बिना टेण्डर प्रक्रिया अपनाए ही किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस निर्माण कार्य में तोड़ी जा रही दीवाल की पुरानी और टूटी-फूटी ईंटों का ही उपयोग किया जा रहा है। इसी प्रकार कम्पनी के एरिया स्टोर परिसर में भी करोड़ों की लागत से निर्माण कार्य पिछले काफी समय से चल रहे हैं, जबकि टेण्डर केवल पांच लाख की लागत के कार्यों के ही निकाले गए हैं। इसी क्रम में मेला परिसर के पास स्थित बिजलीघर, दर्पण कॉलोनी स्थित 33 के.व्ही. उपकेन्द्र एवं आमखो स्थित विद्युत उपकेन्द्र आदि स्थानों पर भी बाउण्ड्री बॉल का निर्माण कराया जा रहा है, तो लगभग पूर्ण होने को है, जबकि इसके लिए टेण्डर विगत 24 दिसम्बर को निकाले गए थे। हैरानी की बात तो यह है कि विभिन्न ठेकेदारों द्वारा बिजली कम्पनी के मुख्य महाप्रबंधक, प्रबंध संचालक, ऊर्जा मंत्री एवं प्रभारी मंत्री तक साक्ष्यों सहित शिकायतें भेजी गईं, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई प्रकाश में नहीं आई है। इस संबंध में कम्पनी के मुख्य महाप्रबंधक का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नम्बर 94069-02259 पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने यह कहते हुए बात करने से मना कर दिया कि वह अभी रास्ते में हैं।
विशेषज्ञ की राय
बिजली कम्पनी से सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एस.के. पचनंदा का कहना है कि किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य कराने से पहले ही टेण्डर प्रक्रिया पूरी की जाती है, जिसमें हर चीज की दर तय हो जाती है। इसके बाद निर्माण कार्य में जितनी सामग्री लगती है, उसी हिसाब से संबंधित ठेकेदार को भुगतान किया जाता है। निर्माण कार्य कराने के बाद तो टेण्डर प्रक्रिया का कोई औचित्य ही नहीं है।