जनमानस

साम्प्रदायिक सौहार्द...

बड़ा दुखद समाचार है कि फिऱोज़ाबाद में ईद के दिन (25.09.2015)नमाज के अवसर पर हमारे महापुरुष स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा व एक अन्य साहित्यकार की प्रतिमा को वहां के ही प्रशासन द्वारा ढंका गया । भारत में अगर अपने ही महापुरुषों की प्रतिभा को किसी उत्सव पर ढंकने का काम प्रशासन करेगा तो क्या यह उन महापुरुषों का अपमान नहीं होगा? हम अपने ही देश में एक सम्प्रदाय विशेष के लिए क्योंकर इतने उदार हो जाते है। जबकि वे हमारी धार्मिक भावनाओं का निरंतर अनादर करके हमारा उत्पीडऩ करते रहते हैं।आज जबकि सड़कों को घेरकर नमाज पढऩा उच्चतम न्यायालय के अनुसार प्रतिबंधित है फिर भी वे मुख्य मार्गो को घेर कर आवागमन बाधित करते है। इस अवसर पर विशेषतौर पर पशुओं व गायों की बलि भी लाखों स्थानों पर खुलेआम दी गई, क्यों ? क्या गायों आदि पशुओं की सार्वजनिक स्थानों पर हत्या करके हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा कर किसी अप्रिय घटना की कुचेष्टा तो नहीं थी?
परंतु सारा देश अपमानित होता रहे और वे गौ काटते रहें, सड़क घेर कर नमाज पढ़ते रहें, वन्देमातरम् का विरोध करें, पाकिस्तान व आई एस के झंडे लहरा कर पाकिस्तान की जय और जिसका अन्न खाओ उसी देश के मुर्दाबाद के नारे लगाये तो क्या यह मुस्लिम तुष्टिकरण का अतिवाद नहीं ?
कब तक राष्ट्रवादी समाज अपमानित व ठगा जाता रहेगा? सबको समझना होगा, छोटी-छोटी घटनायें समझ कर उसकी अवहेलना आत्मघाती हो रही है। इसी प्रकार की नित्य होने वाली छोटी छोटी घटना धीरे धीरे विकराल रुप ले लेती है और दीमक के समान अंदर से सब कुछ खोखला करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहती है । आज जो इस्लाम दुनिया को अपने झंडे के नीचे लाने के लिए विश्व शान्ति के लिए एक बहुत बड़ा संकट बन गया है वह क्योंकर अपने लक्ष्य से भटकेगा? आज भटक तो हम रहे है जो अपने धर्म से दूर होते जा रहे हैं और आत्म समर्पण से आत्ममुग्ध हो रहे है। 'साचो और समझोÓ मुगलकालीन बर्बरता के इतिहास की पुनरावृति से बचो क्योकि इस्लामिक स्टेट ने 2020 तक भारत को मुस्लिम देश खुरासान बनाने की चेतावनी दे रखी है। अत: प्रशासन को सावधान रहना होगा और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए एक ही समुदाय को अनेक प्रकार से प्रसन्न करके दूसरे की उपेक्षा करके उसे निराश व हताश होने से बचाना होगा, नहीं तो कभी भी स्थिति विस्फोटक हो सकती है।

विनोद कुमार सर्वोदय

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