आठ साल में 172 करोड़ बढ़ी लागत

ग्वालियर, विशेष संवाददाता। मरीजों के बोझ से दबे जयारोग्य अस्पताल समूह को राहत दिलाने के लिए आठ साल पहले एक हजार बिस्तर का नया अस्पताल तैयार करने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई थी। 117 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी मिल गई थी, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से धेला भर काम नहीं हो सका। अब इसकी लागत बढ़कर 289 करोड़ हुई तो मंत्री की भी त्यौरी चढ़ी हुई है।
तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा ने जयारोग्य अस्पताल समूह में मरीजों को बिस्तर मिलें और सुविधाओं में कोई खामी न रहे, इसके लिए एक हजार बिस्तर के नए अस्पताल की कार्ययोजना तैयार कराई थी। वर्ष 2007 में ही तैयार हुए प्रस्ताव पर वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद अपने हाथों इसकी आधारशिला भी रखी। पिछले आठ साल में अस्पताल के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी । उल्टे लागत जरूर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। वर्ष 2015 में इसकी लागत 289 करोड़ तक पहुंच गई है। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई गई। डिजाइन बना और ड्राइंग भी बनाई गई लेकिन सब बस्ते में बंद हैं।
जगह को लेकर रहा पेंच
शिलान्यास के वक्त तय हुआ था कि नया अस्पताल जयारोग्य अस्पताल परिसर के भीतर ही टीवी वार्ड के आसपास खाली पड़ी जमीन पर तैयार किया जाएगा, लेकिन बाद में प्रस्तावित अस्पताल की जगह भी बदलती रही। कभी बंद पड़ी ग्वालियर पॉटरीज का भी जिक्र आया। हालांकि कतिपय कारणों से इस जगह पर अस्पताल निर्माण को मंजूरी नहीं मिल सकी। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लोगों ने भी इस अस्पताल के निर्माण में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई । इसलिए अब तक मामला लम्बित बना रहा। बस इतना जरूर हुआ कि जब भी कोई मंत्री आया तो उससे प्रस्तावित अस्पताल का जरूर जिक्र किया। अस्पताल का निर्माण कब शुरू होगा, इस पर जरूर किसी ने मुंह नहीं खोला।
आवास बने रोड़ा
सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित अस्पताल को लेकर सबसे बड़ी परेशानी है कि जिस स्थल पर इसे बनाया जाना है, उसके आसपास काफी संख्या में अस्पताल कर्मचारी और चिकित्सकों के सरकारी आवास बने हुए हैं। निर्माण शुरू करने से पहले लोक निर्माण विभाग को इन्हें हटवाना होगा। कतिपय चिकित्सक और कर्मचारी नहीं चाहते कि उनके आवास हटाए जाएं। खास बात है कि श्री मिश्रा से चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय जाने के बाद किसी अन्य ने दिलचस्पी नहीं ली।
मंत्री को भी नहीं दे पाए जवाब
गुरुवार को जब लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह ने प्रस्तावित अस्पताल को लेकर पूछताछ की तो विभागीय अधिकारी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। एक अधिकारी का कहना है कि दरअसल संबंधितों के पास कोई ठोस जवाब ही नहीं है। इसीलिए मंत्री को मूल दस्तावेजों के साथ संबंधितों को भोपाल तलब करना पड़ा है।
इन्होंने कहा
एक हजार बिस्तर का अस्पताल मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों में शामिल है। इसके निर्माण में देरी पर संबंधितों से चर्चा हुई है। मूल दस्तावेजों के साथ इन्हें भोपाल तलब किया है। जल्द ही निर्माण शुरू कराया जाएगा।
सरताज सिंह, मंत्री,
लोक निर्माण विभाग.