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जनमानस

क्यों नहीं दिखते संघ के स्वयंसेवक मीडिया को?

हरदा में हुई रेल दुर्घटना के बाद राहत कार्य में सहयोग के बावजूद भी हमेशा की तरह मीडिया द्वारा संघ के स्वयंसेवकों की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है। कश्मीर में अपनी जान पर खेलकर आतंकवादी को जिन्दा पकडऩे वाले जीजा-साले को जिस तरह से मीडिया लगातार दिखा रहा है, इससे मीडिया की संवेदनशीलता का अन्दाजा आसानी से लगाया जा सकता है, क्योंकि यह तो कोई सामान्य व्यक्ति भी बता देगा कि जिन्दा आतंकवादी को पकडऩे वाले लोगों को टी0व्ही0 पर दिखाना इनकी जान जोखिम में डालना है। नि:सन्देह आज मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को कोई नहीं नकार सकता है। वर्तमान परिस्थितियों में मीडिया के प्रभाव से बचना व उसका मोह त्यागना बहुत ही मुश्किल है। दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली शक्तियों में से एक मीडिया आज भी संघ के स्वयंसेवकों को प्रभावित नहीं कर सकी है। यह असंभव, अकल्पनीय, अद्भुत एवं आश्चर्यजनक तथ्य है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए। संघ के स्वयंसेवकों का स्व-अनुशासित होना दुनिया के बड़े-बड़े संस्थानों के लिए आज भी शोध का विषय बना हुआ है। अनुशासित होने के कारण ही संघ के स्वयंसेवक संकट के समय विचलित नहीं होते हैं एवं तन्मयता से दूसरों की मदद में लगे रहते हैं। संघ की आलोचना करने वाले क्या किसी एक अवसर का भी उल्लेख कर सकते हैं जब संघ के स्वयंसेवकों ने संकट के समय दूसरों की मदद जाति या धर्म के आधार पर की हो। संघ के स्वयंसेवकों पर इस तरह का एक भी आरोप नहीं है। संघ के स्वयंसेवकों का चारित्रिक एवं आर्थिक रूप से ईमानदार होना व मीडिया के मोह से दूर रहकर निरन्तर अपने कार्य में लगे रहना इनके स्व-अनुशासित होने का ही परिणाम है। यह हकीकत है कि यदि संघ से इत्तेफाक न रखने वालों पर भी कोई विपत्ति आती है तो उनकी मदद के लिए संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले आगे आयेंगे, क्योंकि संकट के समय लोगों की मदद करना एवं राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन करना स्वयंसेवकों का स्वाभाविक गुण है। मीडिया को स्वयंसेवकों की इन विशेषताओं को जनता के सामने लाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रो. एस.के.सिंह, ग्वालियर

Updated : 8 Aug 2015 12:00 AM GMT
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