आशा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध, बोली मानदेय नहीं तो काम नहीं और हटाने की कोशिश भी ना करें प्रशासन
श्योपुर । आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे सात साल से काम कर रही है, पर वेतन आज तक नहीं मिला। शासन व प्रशासन हर काम में उनकी ड्यूटी लगा देता है, लेकिन वेतन कार्य के आधार मात्र एक रुपया दिया जाता है। जो कि उनका शोषण है।
बता दें कि दो दिन पहले आशा कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया था, कि खण्ड चिकित्सा अधिकारी बड़ौदा द्वारा उन्हें बेवजह परेशान किया जाता है तथा वेतन के नाम पर एक ढेला तक नहीं दिया। जबकि शनिवार के रोज एक बार फिर से शहर के पुराना अस्पताल परिसर में उन्होंने प्रदर्शन करते हुए कहा कि विगत दिनों उन्होंने खण्ड चिकित्सा अधिकारी बड़ौदा के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं कहा था। वे सिर्फ मानदेय की मांग कर रही थी। आशा कार्यकर्ता सावित्री बैरवा ने बताया कि शासन व प्रशासन उनका शोषण कर रहा है। उन्हें अन्य काम कराने के साथ-साथ आरोग्य केन्द्र पर भी बैठा दिया गया, जबकि वेतन काम के आधार पर महज एक रुपए के मान से दिया जाता है। कई जगह तो केन्द्रों पर सहयोगिनी भी नहीं है। जिससे काम में परेशानी आ रही है। आशा कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए कहा कि यदि उन्हें मानदेय नहीं मिला तो काम नहीं करेगी और प्रशासन भी उन्हें हटाने का प्रयास ना करें।
साथ ही उन्होंने मांग की कि उनका वेतन आज की स्थिति में पांच हजार प्रतिमाह किया जाए। मांग करने वालों में गायत्री जांगिड़, गायत्री गुर्जर, कृष्णा वैष्णव, आशादेवी शर्मा, सुनिता बैरवा, उर्मिला बैरवा, द्रोपदी बैरवा आदि है।
सात साल से काम कर रहे हैं आज तक नहीं मिला वेतन
Updated : 2015-07-26T05:30:00+05:30
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