दस माह से हक पाने के लिए भटक रही विधवा महिला

परिवार सहायता व जनश्री बीमा योजना का नहीं मिला लाभ

भितरवार। भले ही सरकार गरीब, निराश्रित, विधवाओं के हितों को लेकर कई योजनाएं चला रही है, लेकिन उनका लाभ हितग्राहियों को आसानी ने नहीं मिल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों की कार्य के प्रति उदासीनता पूर्ण रवैया माना जा रहा है। नगर पंचायत क्षेत्र में एक ऐसा ही प्रकरण सामने आया है। कस्बे के वार्ड नम्बर दो में निवास करने वाली एक गरीब महिला के पति की मौत 10 माह पहले हुई थी, जिसे आज तक परिवार सहायता एवं जनश्री बीमा योजना का लाभ नहीं मिला है। यह महिला पिछले दस माह से कार्यालयों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुकी है। फिर भी उसे उसका हक नहीं मिला है।
जानकारी के अनुसार नगर पंचायत के वार्ड नम्बर दो के निवासी संतोष श्रीवास्तव पुत्र कैलाश नारायण की पिछले वर्ष जुलाई माह में मौत हो गई थी। अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी दो छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ जाने के बाद उसकी पत्नी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मृतक की पत्नी गौरी श्रीवास्तव के सामने आर्थिक समस्या आ गई। इसके निदान के लिए उसने शासन की महत्वाकांक्षी परिवार सहायता एवं जनश्री बीमा योजना का लाभ लेने के लिए नगर परिषद के जनमित्र केन्द्र में आवेदन जमा किया। इसके बाद जनमित्र केन्द्र प्रभारी ने समस्त कागजी कार्यवाही पूर्ण कर प्रकरण मंजूरी के लिए संबंधित विभागों को भेज दिया। इसके बावजूद आज तक इस बेसहारा महिला को 10 माह बाद भी योजनाओं के तहत दी जाने वाली राशि प्रदान नहीं की गई है। हितग्राही महिला अपने हक को पाने के लिए आए दिन कार्यालयों के चक्कर लगा रही है।
बीमा और जनपद कार्यालय बना रोड़ा
अपने हक को पाने के लिए 10 माह से संघर्ष कर रही हितग्राही गौरी श्रीवास्तव ने बताया कि नगर पंचायत के जनमित्र केन्द्र से परिवार सहायता व जनश्री बीमा का प्रकरण पिछले तीन माह पहले ही मंजूर हो गया था। वहां जाने पर केन्द्र प्रभारी टी.सी. सोनकर ने उससे ग्वालियर स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय एवं परिवार सहायता के लिए जनपद कार्यालय जाने की बात कही थी। जिस पर वह बीमा कार्यालय पहुंची तो वहां के कर्मचारियों ने कहा नगर पंचायत कर्मचारियों को भेजो। तुम्हारी फाइल में कमी है। पूरी फाइल कम्पलीट होगी तभी तुम्हें राशि जारी करेंगे। वहीं परिवार सहायता के लिए जनपद कार्यालय के चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस संबंध में भारतीय जीवन बीमा योजना प्रभारी का कहना है कि हितग्राही महिला को हमारे पास आना चाहिए। यदि प्रकरण में कोई कमी होगी तो हम उसकी पूर्ति कराकर भुगतान करा देंगे।
आर्थिक तंगी से गुजर रही है महिला
पति के गुजर जाने के बाद पीडि़त महिला गौरी श्रीवास्तव के सामने आर्थिक समस्या सामने आ गई। वह बूढ़ी मां और दो नाबालिग बेटों के भरण पोषण की जिम्मेदारी का बोझ अपने कंधों पर उठाए हुए है। बीपीएल धारक होने से खाने के लिए अनाज मिल जाता है, लेकिन अन्य आर्थिक समस्याओं का उसे सामना करना पड़ रहा है। यदि उसे योजनाओं का लाभ मिल जाए तो कुछ हद तक उसे आर्थिक समस्या से निजात मिल सकती है।
सुविधा शुल्क के चक्कर में तो नहीं अटकी राशि
गौरी श्रीवास्तव ने योजना का लाभ लेने के लिए समस्त कागजी खानापूर्ति कर जनमित्र केन्द्र से प्रकरण मंजूर करा लिया, लेकिन बीमा कार्यालयों में बैठे एआरसी के कर्मचारी महिला के खाते में राशि नहीं डाल रहे हैं। इसका कारण कहीं सुविधा शुल्क तो नहीं। ऐसा नगर पंचायत के कुछ कर्मचारी दबी जवान से महिला को बता चुके हैं कि तुम बीमा कार्यालय में कर्मचारियों को कुछ पैसे दे देना तो तुम्हारा काम हो जाएगा।
कितनी मिलती है राशि
गरीब परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर शासन द्वारा परिवार सहायता एवं जनश्री बीमा योजना के तहत मृतक की पत्नी को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें जनश्री बीमा योजना में हितग्राही को 75 हजार और परिवार सहायता योजना में 20 हजार रुपए देने का प्रावधान है।

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