पीजी प्रवेश में आड़े आए प्रदेश सरकार के नियम

ग्वालियर। गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय से स्नातकोत्तर (पीजी) में प्रवेश लेने के लिए डॉ.जितेन्द्र कन्जौलिया ने उच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार के नियमों को चुनौती दी। प्रवेश के लिए डॉ.कन्जौलिया राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में मेरिट स्थान प्राप्त किया। इस मामले पर उच्च न्यायालय ने भारतीय चिकित्सा परिषद को मंगलवार को जबाव पेश करने के निर्देश दिए।
न्यायामूर्ति यूसी माहेश्वरी एवं न्यायामूर्ति शील नागू की युगलपीठ के समक्ष डॉ.कन्जौलिया के अधिवक्ता राजेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि 25 से 31 मार्च तक गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित होने वाली काउंसिलिंग में शामिल होने की अनुमति दी जाए। अधिवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय मेरिट के आधार पर वैसे तो डॉ.कन्जौलिया देश के किसी भी महाविद्यालय में प्रवेश ले सकते हैं। लेकिन उनकी माँ का स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह यहीं प्रवेश लेना चाहते हंै। उधर शासकीय अधिवक्ता राघवेन्द्र दीक्षित ने शासन की ओर से जबाव देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा नियम बनाए गए है कि यदि कोई छात्र प्रवेश लेने के बाद पीजी की सीट छोड़ता है तो उसे अगले तीन साल प्रवेश नहीं दिया जाए व मूल दस्तावेज भी तीन साल तक जमा रखे जाएं। इसके साथ ही पाँच लाख रुपए भी शासन को देना पड़ेंगे। इस अधिवक्ता राजेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश ने एमसीआई से हटकर नियम बना लिए हंै जो कि पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को एक गलती पर दो बार दण्डित नहीं किया जा सकता। जबकि इस नए नियम में दो बार दण्डित किया जा रहा है। इस नियम पर यह भी आपत्ति है कि जब प्रवेश परीक्षा दी गई थी तक कोई नियम नहीं था। वहीं अधिवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ.कन्जौलिया ने उनकी माँ का स्वास्थ्य खराब होने के कारण अनुमति लेकर पीजी की सीट छोड़ थी।

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