नई दिल्ली | देश की सीमा की हिफाजत में जुटे सबसे बड़े बल बीएसएफ ने यह उल्लेख करते हुए अपने कर्मियों के लिए विशेष सीमा सेवा वेतनमान की जोरदार पैरवी की है कि उसके जवानों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना के आगे तैनात किया जाता है जिससे दुश्मनों के हमले का सबसे पहले उन्हें ही सामना करना होता है।
सीमा सुरक्षा बल ने भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे कठिन और मुश्किलों भरे सीमाई इलाके में सैन्य सेवा वेतनमान के अंतर्गत दिए जाने वाले भत्ते की तर्ज पर विशेष भत्ते की मांग की है। बल की क्षमता 2.5 लाख कर्मियों की है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय और सातवें वेतन आयोग को पेश एक रिपोर्ट में बीएसएफ ने कहा है कि वह सेना और अन्य रक्षा बलों जैसी इस श्रेणी के तहत कसौटी को पूरा करता है क्योंकि वे पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमा पर सुरक्षा की पहली कतार में होते हैं, उन्हें दुश्मनों के हमले का सबसे पहले सामना करना पड़ता है तथा पिछले 49 साल से वह भारत की सीमा की हिफाजत में जुटे हैं।
बल ने कहा है कि यह सीमा पर हिफाजत में जुटे उसके कर्मियों के लिए विडंबना है और मनोबल घटाने वाला है कि उन्हें सेना में अपने साथियों की तरह विशेष भत्ता नहीं मिलता जैसा कि उसी इलाके और परिस्थितियों में तैनात उन लोगों को मिलता है।
इसमें कहा गया है, यह विडंबना है कि नियत्रंण रेखा और ऐसे हालात, समान इलाके, समान दुश्मन की चुनौती और खतरे, समान कठिनाइयों और पर्यावरण में तैनात सैन्य कर्मी एमएसपी के हकदार होते हैं लेकिन उसी जगह पर तैनात बीएसएफ कर्मी को कुछ नहीं मिलता।
हमें भी दिया जाए विशेष भत्ता: बीएसएफ
Updated : 2015-02-22T05:30:00+05:30
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