जनमानस
कार्टून जगत का कबीर अब नहीं रहा
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महानायक कार्टून जगत का कबीर अब नहीं रहा है। सीधी सरल रेखाओं के माध्यम से जब साधारण आमआदमी को रेखांकित करने वाला कॉर्टूनिस्ट स्व. आर.के. लक्ष्मण के जाने से आमआदमी के दर्द को बखूबी बयां करने वाला मसीहा की क्षतिपूर्ति अब संभव नहीं है। वे हरिशंकर परसाई एवं शरद जोशी के व्यंग्य लेखों के समान ही दो गुणा-तीन इंच के स्थान मात्र में, चंद लाइनों के द्वारा आमआदमी के दर्द का महाकाव्य अखबार के मुख्य पृष्ठ पर रचते रहे। उनके तीखे कॉर्टून से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नाराज हो गई थी। लेकिन सत्ता और सामंतवादी विचार धारा के समक्ष लक्ष्मण कभी नहीं झुके। आधी सदी तक अनवरत, अन्याय, शोषण के खिलाफ अपनी तूलिका चलाते रहे।
वे कला एवं पत्रकारिता जगत के महान योद्धा थे, जिस कॉलेज ने कभी उन्हें (जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट मुंबई) प्रवेश नहीं दिया था, एक दिन उसी कॉलेज में उन्हें चीफ गेस्ट बनाया, यह उनकी उत्कृष्ट लगन और सृजनधर्मिता ही थी, जो बिना गुरु के एकलव्य की तरह परमात्मा को गुरु मानकर कला साधना में जुटे रहे और अंतत: वह मुकाम हासिल किया, देश ही नहीं विदेशों तक भारत का नाम रोशन किया उनका कॉलम मैन सदा भारतवासियों को संघर्ष की प्रेरणा देता रहेगा। एक कला साहित्यकार की हैसियत से उस महान कलाकार एवं उसके अलौलिक सृजन को दिल से प्रमाण।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर