छठवीं की छात्राएं लगा रहीं अंगूठा

शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान


बहादुरपुर। 'स्कूल चलें हम' और 'सब पढ़ें - सब बढ़ें' जैसे लोक लुभावने नारों के साथ आज की शिक्षा व्यवस्था कतई न्याय नहीं कर रही है। कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक फैल किये बगैर छात्र-छात्राओं को पढ़ाना उनके भविष्य के साथ सबसे बड़ा छल साबित हो रहा है। विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों, प्रचार-प्रसार के तमाम तामझाम और बालशिक्षा पर खर्च हो रही बड़ी राशि भी बच्चों को साक्षर करने में नाकाफी साबित हो रही है। हालात यह हैं कि कक्षा 6 में पहुंचने वाले कई छात्र-छात्रा खुद का नाम तक हिंदी में नहीं लिख पाते हैं।
बहादुरपुर संकुल केन्द्र के तहत ग्राम अमोंदा के माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 6 में पढऩे वाली जसोदा पुत्री भगवान सिंह आदिवासी नामक छात्रा अपना नाम तक लिखना नहीं जानती। यह छात्रा जब कस्बे के एक बैंकिंग कियोस्क पर खाता खुलवाने आई तो उसने हस्ताक्षर करने की बजाय फार्म पर अगूंठा लगाया। छात्रा के साथ में आई उसकी मां से जब स्कूल की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा गया तो उसने भी कुछ बता सकने में अनभिज्ञता जाहिर की। हालांकि छात्र-छात्राओं के यह कमियां स्कूली शिक्षा विभाग के नियमित निरीक्षण में कभी सामने नहीं आती हैं। जिम्मेदार निरीक्षण संबंधी कागजी खानापूर्ति स्वंय कार्यालयों में बैठकर ही कर लेते हैं। अंचल के दूर-दराज के कई गांवों में शिक्षण व्यवस्था बदतर अवस्था में ही है। किंतु सुलभ पहुंच वाले स्कूलों में भी स्थिति ज्यादा ठीक नहीं हैं। स्थानीय माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत साहिल बाल्मीकि नामक छात्र भी जब खाता खुलवाने पहुंचा तो वह भी हस्ताक्षर के बजाय अगूंठा लगाने लगा।
महीनों स्कूल नहीं पहुंचते शिक्षक:
स्कूलों की नियमित निरीक्षण करने के दौरान कभी शिक्षकों की अनुपस्थिति पकड़ नहीं आती है। जबकि अंचल के कई स्कूलों में पदस्थ शिक्षक जिन में से किसी पर माध्यमिक विद्यालय तो किसी पर प्राथमिक विद्यालय का प्रभार रहता है, वह बाजार में बैठे टाईमपास करते दिखाई देते हैं। क्षेत्र के कई प्राथमिक शालायें मात्र अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही हैं। इनके प्रधानाध्यापक मात्र मासिक प्रमाणीकरण जारी कर संकुल केन्द्र से वेतन निकलवाने आते हैं। मोटे वेतन पर पदस्थ यह शिक्षक जब स्कूलों में पढ़ाने ही नहीं जायेंगे तो बच्चे कैसे पढ़ें।
'समय-समय पर जनशिक्षक द्वारा निरीक्षण किया जाता है। वहीं शिक्षक उपस्थिति का मासिक प्रमाणीकरण लेकर आते हैं जिनके आधार पर वेतन पहुंचा दी जाती है।''
प्रभारी प्राचार्य ,
हायर सेकेंडरी स्कूल
बहादुरपुर

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