दुष्कर्म के आरोपी को दस वर्ष का कारावास
25 हजार का अर्थदण्ड भी
मुरैना। पंचम अपर सत्र न्यायाधीश लखनलाल गर्ग ने 13 वर्षीय नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के मामले में आरोपी उधम ङ्क्षसंह पुत्र द्वारिका सिंह गुर्जर पिपरई का पुरा थाना सरायछौला को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा के साथ 25 हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। अर्थदण्ड की राशि जमा नही करने पर 1 वर्ष के कारावास की सजा अलग भुगतनी होगी। पीडि़त नाबालिग को अर्थदण्ड की राशि में से 20 हजार रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के आदेश भी न्यायाधीश द्वारा पारित किये। अभियोजन पक्ष की ओर से उप संचालक अभियोजन विशेष लोक अभियोजक अरुण श्रीवास्तव ने शासन पुलिस का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा।
सहायक लोक अभियोजन बृजेश खत्री ने बताया कि 18 सितम्बर 2014 को पिपरई के पुरा में आरोपी उधम सिंह, 13 वर्षीय नाबालिग बालिका को बहला-फुसलाकर गांव के सुनसान स्थान पर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
सरायछौला पुलिस ने बालिका की ओर से अपराध क्रमांक 112/14 धारा 376 (2) (झ) बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की। तदुपरांत चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। उप संचालक अभियोजन श्री श्रीवास्तव ने पुलिस व शासन का पक्ष अपर सत्र न्यायाधीश श्री गर्ग के समक्ष रखा। न्यायाधीश श्री गर्ग ने आरोपी के विरूद्ध दोषसिद्ध पाते हुये उसे लैंगिक अपराध संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के अन्तर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 25 हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई। उक्त अर्थदण्ड की राशि में से 20 हजार रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में पीडि़त बालिका को देने का आदेश भी दिया गया।
दुष्कर्म के प्रयास के आरोपी को 4 वर्ष की कैद
बानमौर थाने के क्षेत्रान्तर्गत बानमौर रेलवे लाइन के पास शांति नगर में 9 वर्षीय नाबालिग बालिका को 12 अक्टूबर 2014 को आरोपी महेन्द्र उर्फ लल्ला हाथ पकड़कर झाडिय़ों की ओर ले गया और बल का प्रयास किया। पुलिस ने बालिका की रिपोर्ट पर से अपराध क्रमांक 312/14 भादस की धारा 354 तथा यौन शोषण से बालिकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर जांच की गई। आरोपी के खिलाफ चालान न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां विशेष लोक अभियोजक अरूण श्रीवास्तव ने शासन व पुलिस का पक्ष न्यायालय के सामने रखा। न्यायाधीश ने आरोपी महेन्द्र उर्फ लल्ला को दोषीसिद्ध पाते हुये लैंगिक अपराध संरक्षण अधिनियम के तहत 4 वर्ष के सश्रम कारावास व 2 हजार रूपये के अर्थदण्ड तथा धारा 354 के तहत 1 वर्ष के सश्रम कारावास व 1 हजार रूपये की अर्थदण्ड की सजा सुनाई।