भारतीय शिक्षण मण्डल के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू

भारतीय शिक्षण मण्डल के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू



ग्वालियर। स्वतंत्रता का अर्थ यह कतईं नहीं है कि देश की वागडोर हमारे हाथों में आ जाए। जब तक देश गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं होगा, तब तक देश आजाद नहीं है। दकियानूसी मानसिकता से ग्रस्त यूरोपियन केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था को बदलकर उसे भारत केन्द्रित बनाने की जरूरत है। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली चाहिए, जो हमारे बच्चों और युवाओं में नेतृत्व क्षमता, आत्म विश्वास, श्रद्धा, नैतिकता और चरित्र का निर्माण करे। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले ने शुक्रवार को आईपीएस कॉलेज में आयोजित भारतीय शिक्षण मण्डल के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी थीं। अध्यक्षता केन्द्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। महापौर विवेक शेजवलकर, महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती मायासिंह, भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल छीपा, संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. स्वतंत्र शर्मा, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिलीप सिंह दुरेहा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मुख्य वक्ता श्री होसबोले ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञान, शिक्षा, विद्या के क्षेत्र में भारत विश्व गुरु की क्षमता रखता है, लेकिन स्वतंत्रता प्राप्त किए हुए आज 70 साल हो गए। बावजूद इसके अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि हमारी भाषा और शिक्षा की दिशा क्या हो? इस बारे में किंकरत्तव्य विमूढ़ होकर सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जब-जब नई शिक्षा नीति की बात करती है, तब-तब रामायण के साथ महाभारत शुरू हो जाता है और शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया जाता है। इसी प्रकार भाषा का माध्यम भी विवाद का विषय बना हुआ है, जबकि मातृ भाषा में पढ़कर भी उन्नत भविष्य बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर जो ज्ञान का भण्डार है, उसे बाहर लाने का काम शिक्षा प्रणाली करती है, इसलिए ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करने की जरूरत है, जो हमारे अंदर छिपे ज्ञान के भण्डार को बाहर निकालने का काम करे। इसके लिए भारतीय शिक्षण मण्डल ने विषय विशेषज्ञों का जो मंच बनाया है, उसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संबंध में समाज के साथ विचार-विमर्श प्रारंभ कर दिया है।
श्री होसबोले ने कहा कि भारत का भविष्य विद्यालयों में तय होता है, इसलिए शिक्षा की योग्य व्यवस्था की जाना जरूरी है, जिससे सभी वर्गों को समान रूप से शिक्षा मिल सके, लेकिन हमारे देश में दोहरी शिक्षा प्रणाली चल रही है। जो गरीब हैं, उनके लिए अलग और जो पैसा खर्च कर सकते हैं, उनके लिए शिक्षा की अलग व्यवस्था है। ऐसी दोहरी शिक्षा व्यवस्था विश्व के किसी भी विकसित और प्रगतिशील देश में नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता स्मार्ट क्लाश या भव्य भवन से नहीं आएगी। इसके लिए शिक्षकों को समर्थ बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में हम इंजीनियर और डॉक्टर भेजते हैं। इसी प्रकार दुनियां में समर्थ शिक्षकों को भेजने का आंदोदन भी इस देश में चलाया जा सकता है।
इंसान को बदलने वाली होगी नई शिक्षा नीति: ईरानी


मुख्य अतिथि मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि नई शिक्षा नीति इंसान को बदलने वाली होगी और उसमें गांव की आवाज साफ-साफ झलकेगी। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को जागरुक भी किया जा रहा है। उन्होंने कन्या भ्रण हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि हम ऐसी शिक्षा विकसित करना चाहते हैं जो इंसान को जीने का अधिकार दे। उन्होंने कहा कि आर्थिक और पुस्तकों के अभाव में कोई भी बच्चा उच्च शिक्षा से वंचित न रहे। इसके लिए हम कक्षा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों के लिए 720 ई-कोर्स प्रारंभ करने जा रहे हैं, जिसमें डिग्री व डिप्लोमा सर्टिफिकेट ऑनलाइन मुफ्त होंगे। इसके लिए देश में एक हजार सेन्टर स्थापित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से विद्यार्थी महज 500 से 1000 रुपए शुल्क देकर ऑनलाइन परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में यह विश्व का पहला और अनौखा प्रयास है, जिसमें ढाई लाख घण्टे की लर्निंग सुविधा उपलब्ध होगी।
शिक्षा में परिवर्तन का अच्छा अवसर है: तोमर

केन्द्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारतीय शिक्षण मण्डल शिक्षा में बदलाव को लेकर लम्बे कालखंड से अपनी राय रखने का काम करता आ रहा है, लेकिन यह बात अलग है कि कभी उसकी राय मानी गई तो कभी नहीं भी, लेकिन इससे उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है और वह शिक्षा को भारतीय केन्द्रित बनाने में अपना दायित्व निरंतर निभाता रहेगा। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल के एकात्म मानववाद का सूत्रपात ग्वालियर की पावन धरा पर ही हुआ था और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सूत्रताप भी यहीं से होगा। इस तीन दिवसीय अधिवेशन में जो विचार और निष्कर्ष निकल कर सामने आएंगे, उन पर गंभीरता से विचार होगा। इसकी पूरी गारंटी है। मेरे विचार से शिक्षा में परिवर्तन का यही सबसे अच्छा समय है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वो क्षण जल्दी ही देखने को मिलेगा, जब भारत का प्रत्येक कण-कण भारतीयता से ओतप्रोत होगा।
अतिथियों को भेंट किए स्मृति चिन्ह
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात पारस जैन, नितिन मांगलिक, डॉ. नितेश शर्मा, पंकज नाफडे, स्वाति भावे पुणे, डॉ. नीलमोहन राय, डॉ. रमेश भाई गुजरात, डॉ. नीता वाजपेयी छत्तीसगढ़, नितिन विटवेकर, कृष्णैया आंध्रप्रदेश, आशीश मेहरोत्रा, राजेन्द्र वैद्य, डॉ. कमल जैन एवं सुबोध दुबे आदि ने सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट किए। भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल छीपा ने अतिथियों का परिचय दिया तथा भाशिमं की गतिविधियों की जानकारी भी दी। कार्यक्रम का संचालन भारतीय शिक्षण मण्डल के प्रांत कार्याध्यक्ष डॉ. उमाशंकर पचौरी ने एवं अंत में सभी का आभार प्रदर्शन राष्ट्रीय अधिवेशन के संयोजक लोकेन्द्र पाराशर ने किया।

हृदय को छू गई 12वीं पास राम की प्रस्तुति
कार्यक्रम आरंभ होने से पूर्व गायक अभय मानके दंम्पत्ति द्वारा भगवान श्री राम के चरित्र पर आधारित रामायण गीतमाला '12वीं पास राम गीतमाला की भावविभोर कर देने वाली हृदयस्पर्सी प्रस्तुति दी । साथ ही रामकथा से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को वर्तमान काल की परिस्थितियों एवं सामाजिक बुराईयों से जोड़कर उसे समाज के लिए विचारणीय बनाया। इस बीच उन्होंने 'वेद मंत्रों से है ऊंचा वंद्य बंदे मातरम् --- राष्ट्रभक्ति लघु गीत की प्रस्तुति को भी उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों ने इसे खूब सराहा। हालांकि समयाभाव में यह कथा रामजन्म से लेकर राम विवाह तक ही प्रस्तुत की जा सकी। कार्यक्रम के बीच में गायक अभय मानके दम्पत्ति को महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह ने मंच पर सम्मानित किया।
विभिन्न राज्यों से पहुंचे एक हजार प्रतिनिधि
भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्ट्रीय अधिवेशन में अब तक करीब एक हजार शिक्षाविदों, साहित्यकार प्रतिनिधियों ने पंजीयन कराया है। अब तक कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के विभिन्न शहरों से प्रतिनिधि अधिवेशन में शामिल हुए हैं। आयोजकों का कहना है कि पंजीयन अभी जारी हैं और यह संख्या बारह सौ तक होने की संभावना है। इसी प्रकार शुक्रवार शाम 7 बजे तक करीब 350 स्थानीय प्रतिनिधियों ने पंजीयन कराए। इस तरह आयोजन में कुल करीब 1500 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
अनाथ बच्चियों को स्मृति ने दिया आश्वासन
दुष्यंत नगर में रहने वाली दो बच्चियों निक्की और पूनम वर्मा ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी को बताया कि उनके पिता बनवारी लाल वर्मा जो केन्द्रीय विद्यालय क्र. 1 में लैब असिस्टेंड थे, का देहांत 16 मार्च 2010 को हो चुका है। उनके स्थान पर माँ को नौकरी मिली लेकिन उनका देहांत भी 4 अगस्त 2015 को हो गया है। अब वह अनाथ हैं तथा चाचा राजकुमार बसंत के पास रहती हैं। निक्की ने एक आवेदन मंत्री को सौंपते हुए कहा कि वह 18 वर्ष की हो चुकी है। इस कारण दोनों बहिनों को अनुकंपा नियुक्ति दिला दें। उन्होंने बताया कि आवेदन वह मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के माध्यम भेज चुकी हैं। मंत्री ने दोनों बच्चियों के सिर पर हाथ फेरकर उनका आवेदन लिया तथा उन्हें आश्वस्त किया कि वह उनका पूरा सहयोग करेंगी।
आईपीएस में समाया लघु भारत
भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय अधिवेशन में जहां विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधि शामिल होने पहुंचे हैं। वहीं इन प्रतिनिधियों के लिए व्यवस्थाएं भी चाक-चौबंद की गई हैं। आयोजन स्थल के दायीं ओर महाविद्यालय के एक भवन में पंजीयन की व्यवस्था की गई हैं। इसी प्रकार एक भवन में बाहरी प्रतिनिधियों के ठहरने की व्यवस्था है। विशाल खुले पार्क में भोजन हेतु व्यवस्था की गई है। वहीं आयोजन हेतु स्व. एपीजे अब्दुल कलाम विशाल सभाकक्ष को सजाया- संवारा गया है। इस तरह विभन्न राज्यों से आए विविद भाषायी भारतीय प्रतिनिधियों के एक स्थान पर एकत्रित होने से आईपीएस महाविद्यालय परिसर में लघु भारत नजर आ रहा है।
परिचर्चा आज, कल समापन
भारतीय शिक्षण मण्डल के चतुर्थ राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार 21 नवम्बर शाम 6 बजे से नई शिक्षा नीति पर खुली परिचर्चा का आयोजन होगा। इस सत्र में वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे, संचालक पुनरुत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद सुश्री इन्दुमति बेन काटदरे एवं भारतीय शिक्षण मण्डल के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर होंगे। इस सत्र में स्थानीय एवं विभिन्न राज्यों व शहरों से आए प्रतिनिधि अपने सुझाव देंगे। इसी प्रकार रविवार 22 नवम्बर की सुबह 11 बजे से समापन सत्र आयोजित होगा।






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