शहरवासियों की पहली जरूरत यही तीन काम
अधोसरंचना से जुड़े काम दूसरे पायदान पर
ग्वालियर,विशेष संवाददाता। यह महज संयोग तो नहीं हो सकता है कि जिस ग्वालियर की बसाहट पर हम इतराते थे, वह सीवेज, ड्रेनेज और पेयजल के लिए तरस गया। हमने कई रियासतों को आते और जाते देखा है, राजनीति की परिभाषाएं भी यहां बनी और बिगड़ी हैं। सरकार को अपने हिसाब से चलाने वाले और आंख दिखाने वाले लोग भी ठसक के साथ इसी ग्वालियर की माटी में पले और बढ़े हैं। बस दु:ख इस बात का है कि यहां का आमजन कुछ जरूरी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो गया। सीवेज, ड्रेनेज और पेयजल इन्हीं में से हैं। 2015 में इन्हीं जरूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है कलेक्टर पी.नरहरि ने।
श्री नरहरि कहते हैं कि यह काम वैसे आसान नहीं है। क्योंकि इसके लिए दृढ इच्छाशक्ति के अलावा बड़ी वित्तीय मदद की भी जरूरत है। इसी जरूरत को पूरा करने उन्होंने राज्य शासन से तीन हजार करोड़ के अलग-अलग प्रस्ताव भेजे हैं। नरहरि भी जानते हैं, राज्य शासन इतनी बड़ी वित्तीय मदद तो नहीं देगा,लेकिन तीन नहीं तो एक हजार करोड़ की भी मदद मिल गई तो वे अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने का दम भर रहे हैं।
स्वच्छता से जुड़े हैं तीनों काम
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस स्वच्छता अभियान पर देश को ले जाने के लिए निकले हैं। नरहरि की प्राथमिकताओं वाले तीनों काम भी इसी अभियान का एक अंग हैं। सीवेज सिस्टम अगर तैयार हो गया तो ग्वालियर को गंदगी से मुक्त शहर बनाने में भी देर नहीं लगेगी। जहां ड्रेनेज का सवाल है तो कलेक्टर की परिकल्पना इसे लेकर वर्षा जल निकासी की है। वे कहते हैं कि बारिश का पानी अगर कॉलोनियों और गलियों से बिना भरे आसानी से निकल गया तो आमजन को ही सहूलियत पहुंचाएगा।
यह काम भी प्राथमिकता वाले
कलेक्टर नरहरि की नजर में अधोसंरचना वाले काम भी प्राथमिकता में हैं। इनमें फ्लाईओवर, रेलवे ओवर ब्रिज और शहर की सड़के हैं।