ब्यूरोक्रेट्स के सेवा नियमों में बदलाव, अब फैसले लेने की अधिक

नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा नियमों में संशोधन किया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी अपना कर्तव्य पालन करते समय ‘उच्च नैतिकता’ एवं ‘राजनीतिक निष्पक्षता’ बनाए रखें।
मोदी सरकार की ओर से सेवा नियमों में करीब 40 साल बाद बदलाव करके अफसरों को फैसले लेने की अधिक आजादी दी गई है। इसमें कहा गया है कि अफसर किसी के साथ भेदभाव न करें।
नए नियमों में कहा गया है कि अधिकारियों को जनता, खासकर कमजोर वर्गों, के प्रति ऐसा व्यवहार अपनाना चाहिए ताकि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द निदान हो, अधिकारी उनके प्रति अपना बर्ताव अच्छा रखें और सिर्फ जनहित एवं जनता के इस्तेमाल के फैसले करें। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से अधिसूचित अखिल भारतीय सेवा (आचार-व्यवहार) संशोधन नियम, 2014 में अधिकारियों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि वे अपने सार्वजनिक कर्तव्यों से जुड़े किसी निजी हित का खुलासा खुद करें और टकराव की स्थिति से निपटने के लिए ऐसे कदम उठाएं जिससे जनहित का संरक्षण हो।
नियमों के मुताबिक, अधिकारियों को किसी व्यक्ति या संगठन का कोई ऐसा वित्तीय या अन्य एहसान नहीं लेना चाहिए जिससे उनके आधिकारिक कर्तव्य प्रभावित हों। डीओपीटी की ओर से तय किए गए नियमों में कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा यानी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के किसी अधिकारी को सिविल सेवक के तौर पर अपने परिवार या अपने दोस्तों के वित्तीय या भौतिक फायदे के लिए कभी भी अपने पद का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नियमों में कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अपने आधिकारिक कर्तव्यों के पालन में गोपनीयता बरतेंगे।