जनमानस
राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान की पृष्ठभूमि समझें युवा
देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक नहीं होगी, जो राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान का अर्थ समझते हों। बहुत से लोग तो शायद इनमें अंतर करने में भी समर्थ न हों। राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान बनने की पृष्ठभूमि से सरोकार रखने वाले तो विरले ही होंगे।
कुछ युवाओं को तो इनकी पृष्ठभूमि की जानकारी सिर्फ इसलिए होगी क्योंकि उन्हें किसी प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होना होगा, देशभक्ति एवं देश प्रेम के कारण नहीं। संवेदनहीन, भावविहीन एवं ज्ञान का प्रयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करने वाले युवाओं को संवेदनशील जिम्मेदारियों से दूर रखना होगा। भले ही ऐसे युवा सूचनाओं का भण्डार हों। इसके विपरीत संवेदनशील भाव-प्रधान एवं देश-भक्ति तथा समाजसेवा में स्वाभाविक रूचि रखने वाले युवाओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देनी होंगी। अब आंकलन का आधार बदलना होगा। स्वतंत्रता के पश्चात निर्धारित मापदण्डों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। सिर्फ सूचनाओं को आधार मानकर सफलता और असफलता का निर्धारण नहीं होना चाहिए।
प्रो. एस.के. सिंह, ग्वालियर