आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपय्या

मामला गरीब रथ व राजधानी एक्सप्रेस का स्टॉपेज खत्म करने का

ग्वालियर। ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर गरीब रथ व राजधानी एक्सप्रेस का ठहराव रेलवे के लिए हाथी पालने जैसा साबित हो रहा है। दोनों ट्रेनों को स्टेशन पर रोकने से जहां रेलवे का कीमती समय जाया हो रहा है , वहीं आमदनी के नाम पर भी रेलवे को कोई खास फायदा नहीं है। सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर स्टेशन पर इन दोनों ही ट्रेनों में यात्रियों की संख्या प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक नहीं है, वहीं इससे होने वाली आय भी हजारों में ही है। ऐसे में ग्वालियर स्टेशन पर दोनों ट्रेनों का स्टापेज रेलवे के लिए आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपय्या जैसा है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड ने एक अक्टूबर से इन दोनों ही ट्रेनों का ग्वालियर स्टेशन पर स्टापेज खत्म करने का फरमान जारी किया है। इसे लेकर इन दिनों ग्वालियर की राजनीति गर्मायी हुई है लेकिन जिन कारणों से इसे बंद करने का फरमान जारी किया गया है, उसके पीछे रेलवे के अपने कई तर्क हैं। पहला कारण तो इसके संचालन में आर्थिक रूप से रेलवे को होने वाला नुकसान बताया जा रहा है। स्टेशन पर ट्रेनों को रोकने के लिए रेलवे के आपरेटिंग स्टाफ से लेकर इंजीनियरिंग विभाग तक के अधिकारियों को मशक्कत करनी पड़ती है।

नहीं मिलते यात्री
रेलवे सूत्रों के मुताबिक इन दोनों ही ट्रेनों के लिए यात्रियों की संख्या काफी कम है। बमुश्किल बारह पंद्रह यात्री ही प्रतिदिन इस ट्रेन में यात्रा करने के लिए अपना आरक्षण कराते हैं। ग्वालियर स्टेशन से यात्रा करने वाले अधिकांश यात्रियों की संख्या झांसी, भोपाल, दिल्ली, मुंबई के लिए ही है। इन दोनों ट्रेनों से मद्रास जाने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम है।

किराया भी ज्यादा
एक्सप्रेस व पैसेंजर गाडिय़ों के मुकाबले राजधानी एक्सप्रेस में यात्रा करने पर यात्रियों को काफी किराया चुकाना पड़ता है जिसके कारण भी राजधानी ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम है। गरीब रथ से यात्रा करने वाले यात्रियों को समय सूट नहीं हो पाता है जिसके कारण गरीब रथ से भी यात्रा करने वालों की संख्या काफी कम है। मजे की बात यह है कि इन दोनों ही ट्रेनों में वीआईपी कोटा होने के बाद भी आज तक किसी भी यात्री ने इसकी मांग नहीं की।

नहीं मिलता आरक्षण
इन दोनों ही ट्रेनों से यात्रा करने के लिए ग्वालियर स्टेशन से यात्रियों को आरक्षण भी नहीं मिल पाता है जिसके कारण भी यात्री इन दोनों ही ट्रेनों से यात्रा करना पसंद नहीं करते। मजे की बात यह है कि वीआईपी कोटा होने के बाद भी आज तक इसकी मांग नहीं की गयी। दिल्ली स्टेशन से ही यह ट्रेनें फुल हो जाती है जिसके कारण भी ग्वालियर के यात्रियों को आरक्षण नहीं मिल पाता है।

यह है परेशानी
ग्वालियर स्टेशन पर इन दोनों ही ट्रेनों को स्टापेज देना रेलवे के लिए परेशानी ही खड़ी करता है। इससे अन्य ट्रेनों के संचालन पर भी असर पड़ रहा है। वहीं ट्रेन को स्टापेज देने के लिए परिचालन , वाणिज्य , इंजीनियरिंग आदि विभागों के लगभग पचास कर्मचारियों को तैनात करना होता है। स्टापेज खत्म होने से ट्रेक पर ट्रेनों का दबाव भी कम होगा। 

ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर गरीब रथ व राजधानी एक्सप्रेस का ठहराव रेलवे के लिए हाथी पालने जैसा साबित हो रहा
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