आपातकाल से भय का माहौल पैदा हुआ: मनमोहन

नई दिल्ली | पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए देश में आपातकाल का लगना हैरान करने वाला कदम था और उनका कहना है कि इससे देश में भय का माहौल पैदा हुआ। उनकी बेटी की पुस्तक में यह बात कही गई है।
मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी पुस्तक में अपने पिता को उद्धत करते हुए लिखा है कि यह आश्चर्यजनक था। उस वक्त अशांति थी, लेकिन किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि श्रीमती गांधी इतना आगे चली जाएंगी।
यह पुस्तक दमन की अपने माता-पिता के साथ की गई बातचीत तथा पुस्तकालयों एवं अभिलेखागारों में बिताए समय पर आधारित है।
जब दमन ने अपने पिता से पूछा कि आपातकाल ने सरकारी नौकरशाहों को कैसे प्रभावित किया तो पूर्व प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि मेरा मानना है कि उस दौरान वक्त की पाबंदी और अनुशासन पर ज्यादा जोर था। कुछ अच्छी चीजें हुईं, लेकिन मेरा मानना है कि देश में भय का माहौल था। मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां हुईं और लोगों को हिरासत में लिया गया।
मनमोहन सिंह के अनुसार, देश में बहुत अशांति थी, खासकर परिवार नियोजन कार्यक्रम के कारण। इसे दिल्ली और उत्तरी प्रांतों में लागू किया गया था। उनका मानना था कि संजय गांधी संविधान से इतर सबसे महत्वपूर्ण शक्ति थे। मनमोहन सिंह ने कहा कि संजय का बहुत प्रभाव था। उनके सीधे हितों से जुड़ी चीजों को संभाल रहे कई लोगों का मानना था कि वे काफी दबाव महसूस करते थे।
दमन सिंह की पुस्तक के अनुसार आपातकाल के बाद मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी तो कई अधिकारियों को ठिकाने लगा दिया गया, लेकिन सिंह को उनके स्थान पर बरकरार रखा गया।
मनमोहन सिंह ने शुरुआत में महसूस किया कि देसाई उनके प्रति ज्यादा लगाव नहीं रखते थे। इस पुस्तक में मनमोहन सिंह को उद्धत करते हुए कहा गया है कि जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने तो उन्हें बताया गया कि मैं पिछली सरकार के काफी करीब था। इसलिए शुरुआत में वह काफी कठोरता से पेश आए। परंतु कुछ समय के बाद उनका मुझसे लगाव हो गया। मोरारजी देसाई निष्पक्ष रूप से संतुलित थे, हालांकि लोगों ने उन्हें एक कठोर व्यक्ति के तौर पर गलत ढंग से समझ लिया। मेरा मानना है कि वह सतही स्तर पर काफी कठोर थे लेकिन एक जिम्मेदार व्यक्ति भी थे।