इंतजार में हो गए बूढ़े

मामला हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहीत भूमि का

ग्वालियर। महाराज पुरा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सन् 1984 में आधा दर्जन गांवों के जिन किसानों एवं ग्रामीणों की भूमि को सरकार ने अधिग्रहीत किया था। इनका विस्थापन आज तक नहीं हो सका है। विस्थापितों ने कई बार शासन और प्रशासन के सामने गुहार लगाई लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। राजस्व विभाग के दल द्वारा किए गए निरीक्षण की जांच रिपोर्ट मिल जाने के बावजूद पीडि़तों के विस्थापन की फाइल कलेक्ट्रेट में धूल खा रही है। पीडि़त ग्रामीणों का कहना है कि जब हम जवान या बच्चे थे तब गांव खाली कराए गए थे। अब बुढ़ापा आ गया है लेकिन शासन ने उनका पुनर्वास नहीं कराया। उल्लेखनीय है कि 1984 में जब ग्वालियर के विमान तल का निर्माण हुआ था उस समय महाराजपुरा क्षेत्र के ग्राम जड़ेरुआ कला, जोनपुर मडैया, गिरवाई, सैंथरी एवं महाराजपुरा गांवों के कई किसानों की कृषिभूमि अधिग्रहीत की गई थीं। वहीं इन गांवों के किसानों को यहां से विस्थापित किए जाने के आदेश भी दिए गए थे। शासकीय प्रक्रिया में जिन किसानों को यहां से हटाया गया था, शासन ने उनके विस्थापन की व्यवस्था आज तक नहीं की है। पीडि़त ग्रामीणों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में भी गुहार लगाई है।
कलेक्टर के आदेश पर अपर तहसीलदार वृत मुरार ने दल गठित कर स्थल जांच/ सर्वेक्षण दिनांक 7.8.2013 से 20.8.2013 तक कराया था। गठित छह अधिकारियों के इस दल में आरआई, दो पटवारी, एक जीडीए अधिकारी सहित कुल छह जांच अधिकारी शामिल थे। जांच दल ने तीन बिन्दुओं की अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी है। साथ ही विस्थापन के संबंध में अपना प्रतिवेदन भी दिया है। 

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