ज्योतिर्गमय
भय को दूर भगाएं
प्रत्येक जीव यमराज के परोक्ष भाव से परिचित है और प्रत्यक्ष भाव से परिचित होना किसी ने नहीं चाहा है। यही नियम है। हम लोग किसी पर नाराज होने पर कहते हैं-यम के घर जाओ। यम के घर जाने के लिए बोलते तो हैं, किंतु मन से नहीं चाहते कि वह यम के घर जाए। इस संदर्भ में सवाल उठता है कि यम क्या है? इसका आशय है, जो नियंत्रित करे। ईश्वर एक विशेष शक्ति के द्वारा पृथ्वी का सब कुछ नियंत्रित कर रहे हैं। जो कुछ होता है, उसका मूल स्त्रोत ईश्वर है। उसी स्त्रोत में ऐसे कई प्रावधान निर्धारित किए गए हैं, जो अंत तक उसकी स्थायी सत्ता को बरकरार रखते हैं। लोग विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाते हैं। इतनी फसल होगी, उसे बेचकर इन कामों को निबटाया जाएगा। पर उस फसल को गांव से शहर ले जाने के लिए सड़क की भी आवश्यकता होगी। इसी तरह इस ब्रह्मांड के संचालन में ईश्वर भी अनेक प्रकार की चिंताओं में व्यस्त रहते हैं। ब्रह्मांड की जो गति है, उसका नियंत्रण करने वाला भी कोई होगा। इस नियंत्रण व्यवस्था को ही यम कहा जाता है। सृष्टि में नियंत्रण की व्यवस्था नहीं रहने से अव्यवस्था फैल जाएगी। यह जो यम या कोई शक्ति क्रियाशील है, उसी एक तत्व से, एक सत्ता से सभी डरते हैं। इसलिए यह श्रृंखला है। नहीं तो सब कुछ विश्रृंखलित हो जाता। हवा भयग्रस्त है, इसलिए सब समय बहती है। वह स्थिर नहीं रहती। सत्ता चाहती है कि हवा हर समय बहती रहे। जिसका जन्म हुआ है, वही यम से भयभीत है।
इस लोक में जन्म होने का मतलब है कि मृत्यु भी होगी। इस प्रकार सभी व्यक्ति यम के नियंत्रण में आ जाते हैं। यम के इस भय से बचने का जो एकमात्र उपाय है वह है ईश्वर की शरण में आना। ऐसा इसलिए, क्योंकि यम ईश्वर से भयग्रस्त रहते हैं इस कारण ईश्वर की उपासना करने वाले व्यक्ति से यम भी डरते हैं। यह भी जानने की जरूरत है आखिर भय क्या है? भय वास्तव में हमारे मन की कमजोरी है। इसलिए जो साधक हैं, वे किसी से भी भयभीत नहीं होते। यदि कभी उनके मन के किसी कोने में भय महसूस होता है, तब वे ईश्वर का स्मरण करेंगे और कहेंगे, हे ईश्वर मैं तुमसे प्रेम करता हूं। इसलिए मैं किसी अन्य व्यक्ति से भयभीत नहीं हूं। इस तरह उनका भय खत्म हो जाएगा।