पुरातत्व स्मारकों की हद नहीं पता अधिकारियों को

संरक्षित स्मारकों का कराया जाएगा सीमांकन , गूजरी महल के रास्ते में नहीं है प्रकाश व्यवस्था

ग्वालियर, विशेष संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन (एएसआई) और राज्य पुरातत्व संघ के अधीन जिले में जो स्मारक हैं, उनकी हद का अधिकारियों को भान नहीं है। यह बात आज जिला पुरातत्व संघ की बैठक में अधिकारियों की ओर से ही उठाई गई। तय हुआ है कि संरक्षित स्मारकों की हद पता करने के लिए सीमांकन कराया जाएगा।
पुरातत्व विभाग की ओर से 12 राज्य सरंक्षित स्मारक और 13 एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारकों की सीमा रेखा खींचना तय हुआ है। जिला पुरातत्व संघ की बैठक में सदस्यों ने कहा कि अभी तो यही स्पष्ट नहीं है कि इन संरक्षित स्मारकों की सीमा रेखा क्या है? क्या इस सीमा रेखा के भीतर कहीं किसी दबंग ने अतिक्रमण तो नहीं कर रखा। अगर अतिक्रमण है तो उसे मुक्त कराया जाए।

फोटोग्राफी कराई जाएगी
बैठक में तय किया गया है कि सभी संरक्षित स्मारकों की फोटोग्राफी कराई जाए और उसे एक किताब की शक्ल भी दी जाए। ताकि फोटोयुक्त यह किताब अगर सैलानियों के हाथ में पहुंचेगी तो वे अपनी पसंद के पुरातत्व स्थल पर देखने के लिए पहुंच सकते हैं। बैठक में यह भी तय किया गया है कि 20-22 इंच के फोटोग्राफ मय फ्रेम के तैयार कराए जाएं और इन्हें सभी विश्रामगृहों तथा होटल्स में लगवाया जाए। ताकि वहां पहुंचने वाले सैलानियों को भी इन पुरासंपदा की जानकारी हो सके। इस कार्य के लिए प्रभारी कलेक्टर ईलैया राजा टी के सुझाव पर पुरातत्व महत्व के सभी स्मारकों के सीमांकन,फोटोग्राफ समेत अन्य बिन्दुओं पर ठोस काम करने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में जीवाजी विश्वविद्यालय के पुरातत्व अध्ययनशाला, पर्यटन विभाग एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।

विभाग के पास नहीं है पैसा
खास बात है कि इन कार्यों के लिए जिला पुरातत्व संघ के पास एक कौड़ी नहीं है। पुरातत्व विभाग के उपसंचालक वर्मा का कहना है कि इन कार्यों के लिए कलेक्टर की रजामंदी से एक प्रस्ताव तैयार करके भोपाल भेजा जाएगा। ताकि वित्तीय संसाधनों का इंतजाम हो सके।

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