देश भर के अल्ट्रासोनोग्राफी केंद्रों पर लगेगी एक्टिव ट्रेकिंग डिवाइस
केन्द्र सरकार ने की सराहना देशभर में लागू करने की तैयारी
प्रवीण दुबे / ग्वालियर। पेट में पलती बेटियों का मशीनी जांच द्वारा पता लगाकर उनकी हत्या करने की निकृष्ट सामाजिक बुराई पर लगाम लगाने के लिए ग्वालियर के कलेक्टर पी. नरहरि द्वारा विकसित एक्टिव टे्रकर डिवाइस को भारत सरकार ने भी बेहद पसंद किया है और इसकी कार्यविधि को समझने केन्द्र सरकार के एक तकनीकी दल ने विगत दिवस ग्वालियर का दौरा किया है। अब इस बात की संभावना है कि शीघ्र ही इस डिवाइस को देशभर में लागू करने के लिए केन्द्र सरकार की मंजूरी प्राप्त हो जाएगी। फिलहाल यह डिवाइस ग्वालियर जिले में लागू है।
ग्वालियर क्षेत्र में ी-पुरुष के बीच का लिंग आधारित भेदभाव बहुत स्पष्ट है। परिणाम स्वरूप प्रदेश के सबसे कम लिंगानुपात वाले जिले में ग्वालियर का स्थान दूसरा है। इस समस्या से निपटने के लिए ग्वालियर के कलेक्टर पी. नरहरि ने जो तकनीक विकसित की है उसके ग्वालियर में बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस एक्टिव टे्रकर डिवाइस को भारत सरकार ने भी बेहद पसंद किया है।
इस बारे में कलेक्टर पी. नरहरि ने स्वदेश से विशेष बातचीत में पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दो वर्ष पूर्व तक ग्वालियर में लिंगानुपात प्रति एक हजार पर 927 था साथ ही प्रदेश भर में होने वाली 20 हजार भ्रूण हत्याओं में से लगभग 2 हजार ग्वालियर जिले में होना सामने आया था। यह बेहद दुखी और परेशान कर देने वाले आंकड़े थे। श्री नरहरि ने बताया कि गर्भधारण पूर्व और प्रसूति निदान तकनीक अधिनियम लागू होने के बावजूद जिले के अल्ट्रा सोनोग्राफी केन्द्रों पर चोरी-छुपे लिंग परीक्षण पर लगाम नहीं लग पा रही थी। यही वजह थी भ्रूण हत्या का प्रतिशत कम नहीं हो रहा था। अत: अल्ट्रा सोनोग्राफी केन्द्रों पर पैनी नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जाए इस पर गहन चिंतन किया गया। इसी चिंतन के परिणाम स्वरूप एक एक्टिव टे्रकर डिवाइस विकसित करने की बात ध्यान में आई। इस डिवाइस को तैयार करने के लिए एक कंपनी के तकनीकी कर्मचारियों से चर्चा हुई और इसे बाकायदा मूर्त रूप दे दिया गया। श्री नरहरि ने बताया कि इस डिवाइस के उपयोग से अल्ट्रासाउंड मशीन के संचालकों द्वारा कम जानकारी देना अथवा जानकारी को छुपा लेना संभव नहीं हो पाएगा और सबसे बड़ी बात तो यह है कि लिंग परीक्षण की सही जानकारी सामने आ जाती है।
श्री नरहरि ने बताया कि सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित होने के उपरांत एक बेटी अथवा अधिक बेटियों की गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्ण होने तक टे्रकिंग का निर्णय लिया गया है। साथ ही उनकी गर्भावस्था के दौरान जांच, टीकाकरण की सुविधा भी प्रदान करने में सहायता मिली है।
श्री नरहरि ने बताया कि इस टे्रकिंग डिवाइस के उपयोग से जिले के लिंगानुपात में बड़ा परिवर्तन दिखाई दिया है। जो लिंगानुपात पूर्व में प्रति एक हजार पुरुषों पर 927 था जो अब घटकर 840 पर आ गया है। यह एक बड़ी सफलता कही जा सकती है।
कलेक्टर पी. नरहरि ने बताया कि ए.टी. टे्रकिंग डिवाइस की कार्य पद्धति ने केन्द्र सरकार को भी बेहद प्रभावित किया है। इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने एक केन्द्रीय दल विगत दिवस ग्वालियर आया और पूरी कार्य पद्धति को देखा है। संभावना है कि केन्द्र सरकार इस डिवाइस को देशभर के अल्ट्रा सोनोग्राफी केन्द्रों पर लागू करने का निर्णय ले सकती है। यदि ऐसा हुआ तो बेटियों को बचाने के लिए यह एक बड़ा कारगर प्रयास होगा।