जांच पूरी करने आर्थिक अपराध ब्यूरो को छह माह का समय
मामला सरकारी जमीन खुर्दबुर्द करने का
संतोष शर्मा / पोहरी। शासकीय भूमि को फर्जी तरीके से बेचने के संबंध में दायर जनहित याचिका को निराकृत करते हुए उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को छह माह में जांच पूरी करने का आदेश दिया है, साथ ही याची को यह स्वतंत्रता दी है कि वह जांच एजेंसी के समक्ष इस प्रकरण से जुड़े साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है।
दिनेश शर्मा ने जनहित याचिका दायर करते हुए चरनोई भूमि को फर्जी तरीके से बेचने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने की मांग की थी। याची का पक्ष रखते हुए अभिभाषक जे.पी. मिश्रा ने न्यायालय को बताया कि बैराड़ कस्बे के कालामढ़ गांव में सरकारी चरनोई भूमि को खुर्दबुर्द कर बेचने वालों के विरुद्ध 2012 में आर्थिक अपराध अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था, परंतु इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष बीतने के बाद भी न तो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और न ही कोई कार्रवाई आगे बढ़ी है। वहीं ईओडब्ल्यू के अभिभाषक ने न्यायालय को बताया कि प्रकरण की जांच चल रही है और संबंधित के विरुद्ध साक्ष्य एकत्रित किए जा रहे हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने जांच एजेंसी को आदेश दिया कि वह संभवत: छह माह में जांच पूरी कर उन सभी आरोपियों के विरुद्ध नियमनुसार कड़ी कार्यवाही करे, जिन्होंने फर्जी तरीके से जमीन को खुर्द-बुर्द किया है।
इनके खिलाफ दर्ज हुई थी प्राथमिकी
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो थाना भोपाल में अपराध क्रमांक 75/2012 धारा 420, 409, 120बी, 467, 468, 471 भादवि एवं 13 एक डी, 13 दो भ्रनि अधिनियम 1988 के तहत बद्रीप्रसाद ओझा, राजकुमार ओझा, कालामढ़ के तत्कालीन सरपंच, एनके बोरवाल एसडीएम, तत्कालीन तहसीलदार आरबी सिंडोसकर, शैलेन्द्र राय, हाकिम सिंह, साहिर खान, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक रामकिशोर त्रिवेदी, राजेश वत्स, जेपी श्रीवास्तव, तत्कालीन पटवारी प्रेमनाराश्यण श्रीवास्तव, बृजलाल शर्मा, घनश्याम वर्मा के खिलाफ 6 नवम्बर 2012 को प्रकरण दर्ज किया गया था।