आतंकवाद विश्व के लिए बड़ा खतराः मोदी

केनबरा । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को सारे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए हमें व्यापक वैश्विक रणनीति बनानी चाहिए और देशों के बीच अंतर किये बिना उन्हें अलग-थलग करें जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने यहां आस्ट्रेलियाई संसद को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवाद हम सब के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। भारत पिछले तीन दशक से इसका सामना कर रहा है। इसका चरित्र बदल रहा है और यह अपनी पहुंच का भी विस्तार कर रहा है।’
मोदी ने सुझाव दिया कि जहां यह आतंकवाद सबसे अधिक है, वहां हमें इसके खिलाफ सामाजिक आंदोलन चलाना होगा। आतंकवाद के खिलाफ व्यापक रणनीति बनाने की अपील के साथ उन्होंने आगाह किया, ‘धर्म और आतंकवाद को जोड़ने के सभी प्रयासों को विफल किया जाए।’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज दुनिया में इंटरनेट के जरिये भर्ती (आतंकियों की), धन शोधन, मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी के जरिये अपने पैर तेजी से पसार रहा है जिसे रोके जाने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग किये जाने की सख्त जरूरत है।
प्रशांत और हिन्द महासागर को दोनों देशों की जीवन रेखा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया भागीदार बनकर इस क्षेत्र की सुरक्षा को बेहतर कर सकते हैं। इसके लिए दोनों देशों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। दक्षिण चीन सागर पर चीन की दावेदारी से उत्पन्न विवाद का सीधा उल्लेख किये बिना उन्होंने कहा कि छोटे बड़े सभी देशों की अतंरराष्ट्रीय कानून के तहत नौवहन सुरक्षा प्रदान होनी चाहिए। और हम सब मिलकर सार्वभौम सम्मान के लिए काम करें।
उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया एशिया प्रशांत और हिन्द महासाग के केंद्र में है और इसलिए वह जितना सक्रिय होगा, इन क्षेत्रों की सुरक्षा उतनी बेहतर होगी। इससे पहले यूरेनियम आपूर्ति के लिए असैन्य परमाणु समझौता शीघ्र करने के मोदी के आग्रह पर आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा कि अगर सब ठीक रहा तब आस्ट्रेलिया शीघ्र ही उपयुक्त सुरक्षा उपायों के साथ भारत को यूरेनियम का निर्यात शुरू कर देगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल के अंत तक हम विश्व की इस सबसे बडे बाजार (भारत) के साथ मुक्त व्यापार समझौता कर लेंगे। आस्ट्रेलिया को भारत में निवेश का न्यौता देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज 30 साल बाद भारत में एक पूर्ण बहुमत की सरकार आई है और दूर दराज के गांव से महानगरों तक में विकास को लेकर नयी उर्जा और आकांक्षाओं को बल मिला है। वे परिवर्तन चाहते हैं और अब वे विश्वास भी करते हैं कि ऐसा होना संभव है।