मृत्यु से पहले एक और मिल्खा देखना चाहता हूं

मृत्यु से पहले एक और मिल्खा देखना चाहता हूं

ग्वालियर। मरने से पहले एक ओर मिल्खा देखना चाहता हूं। यह बात मंगलवार को सिंधिया फोर्ट स्कूल के शुक्ला मेमोरियल ओपन एयर थिएटर में आयोजित 117वां स्थापना दिवस के अवसर पर देश के अंतर्राष्ट्रीय धावक मिल्खा सिंह ने मुख्य अतिथि के रुप में कही।
श्री सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि ६० साल में १२० करोड़ की आबादी में आज तक एक और मिल्खा पैदा नहीं हुआ। उन्होनें कहा कि दुनिया छोडऩे से पहले मैं देश में एक और मिल्खा देखना चाहता हूं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग में अहम भूमिका निभाने वाले अभिनेता फरहान अख्तर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्राचार्य शमिक घोष भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. माधवराव सिंधिया के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सिंधिया स्कूल के छात्रों द्वारा मंै कोई ऐसा गीत गाऊं......., पापा कहते हंै बड़ा नाम करेगा फिल्मी गीत के साथ किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य शमिक घोष ने स्कूल की उपलब्धियों को बताया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा स्कूल सांग पर ऑर्केस्ट्रा, इंग्लिश प्ले द यलो काइट साहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के लिए शील्ड व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय धावक मिल्खा सिंह ने कहा कि हमें हिन्दी बोलने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने अपना पूरा उद्बोधन हिन्दी मेें ही दिया। उन्होंने श्री सिंधिया की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से आज शहर में एक नहीं दो मिल्खा आए हैं। श्री सिंह ने अपने जीवन में घटी विभिन्न घटनाएं विद्यार्थियों को बताईं। उन्होंने बताया कि 1960 में मेरे पास पाकिस्तान से न्योता आया कि वह भारत-पाकिस्तान एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लें, टोक्यो एशियन गेम्स में उन्होंने वहां के सर्वश्रेष्ठ धावक अब्दुल ख़ालिक को फ़ोटो फिनिश में 200 मीटर की दौड़ में हराया था।
पाकिस्तानी चाहते थे कि अब दोनों का मुक़ाबला पाकिस्तान की ज़मीन पर हो। उन्होनें पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया क्योंकि विभाजन के समय की कई कड़वी यादें उनके ज़हन में थीं जब उनकी आंखों के सामने उनके पिता को क़त्ल कर दिया गया था।
मगर पं.नेहरू के कहने पर मुझे पाकिस्तान जाना पड़ा, लाहौर के स्टेडियम में जैसे ही स्टार्टर ने पिस्टल दागी, मैनें दौडऩा शुरू किया...दर्शक चिल्लाने लगे। पाकिस्तान जि़ंदाबाद...अब्दुल ख़ालिक जि़ंदाबाद...ख़ालिक, मुझसे से आगे थे लेकिन 100 मीटर पूरा होने से पहले मैंने उन्हें पकड़ लिया था। इसके बाद ख़ालिक धीमे पड़ते गए, मैंने जब टेप को छुआ तो वह ख़ालिक से करीब दस गज आगे थे और उनका समय था 20.7 सेकेंड ये तब के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी थी जब दौड़ ख़त्म हुई तो ख़ालिक मैदान पर ही लेटकर रोने लगे। मैं उनके पास गया और उनकी पीठ थपथपाई और बोला की हार-जीत तो खेल का हिस्सा है। इसे दिल से नहीं लगाना चाहिए। जैसे ही मैं अपने मंजिल के करीब था तभी वहां उपस्थित दस हजार बुर्के वाली महिलाओं ने मुझे देखने के लिए अपने बुर्के ऊपर कर लिए कि ऐसा कौन सा सरदार है जिसने खालिक को हरा दिया।
हर इंसान को है विशेष पहचान की जरूरत: फरहान
इस अवसर पर उपस्थित भाग मिल्खा भाग फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता फरहान अख्तर ने कहा कि हर इंसान को एक पहचान की जरुरत है जब तक उसकी पहचान नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो सकता। फरहान ने मिल्खा सिंह की कहानी और उनके व्यक्तित्व के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी भी दी। फरहान अख्तर ने बताया कि हिंदी फिल्मों के इतिहास में खेल पर बनी फिल्मों की समृद्ध परंपरा नहीं है। पान सिंह तोमर, भाग मिल्खा भाग, मैरी कॉम फिल्मों की सफलता और सराहना के बाद फिल्म इंडस्ट्री का रवैया बदला है। कार्यक्रम के अंत में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मिल्खा सिंह को विश्व का हीरो बताया। उन्होनें कहा की उद्देश्य पाने के लिए इंसान को आशा हमेशा अपने हाथ में रखनी चाहिए और सपने अपने ह्रदय में रखना चाहिए। तभी उसको बड़े से बड़ा मुकाम प्राप्त होता है। उन्होंने रचनात्मकता नवाचार कौशल के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
1960 के बाद से मैंने कोई फिल्म नहीं देखी
फ्लाइंग सिख ने कहा कि मैं फिल्मों के बारे में बहुत कम जानता हूं। उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे याद आ रहा है, वर्ष 1960 के बाद मैंने कोई फिल्म नहीं देखी है। मैंने राज कपूर की आवारा, श्री 420 और अशोक कुमार की महल देखी है। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा जीव मिल्खा सिंह प्रसिद्ध गोल्फ खिलाड़ी हिन्दी फिल्म नियमित तौर पर देखता है और उसने मेरी कहानी मेहरा को देने का फैसला किया क्योंकि उसने इस निर्देशक की फिल्म रंग दे बसंती देखी थी।
मेरी आखिरी इच्छा
श्री मिल्खा कहते हैं कि उनके जीवन की सिर्फ एक इच्छा अधूरी रह गई। उन्होंने कहा कि रोम ओलंपिक में जो स्वर्ण पदक मेरे हाथ से फिसल गया था, दुनिया छोडऩे से पहले उसे अपने देश में देखना चाहता हूं। यही मेरी आखिरी इच्छा है।
ये विद्यार्थी हुए सम्मानित
शिवाजी के प्रसेनजीत बौद्ध, महादजी के सात्वीक बंसल, माधव के पुलकित अग्रवाल, दौलत हाउस के शिशिर गर्ग,आयुश प्रकाश, शिशिर गर्ग, को सम्मानित किया गया। वहीं उत्सव अखायुरी,शिशिर गर्ग, मनिक्या बंसल, शितिज राज, उत्कर्ष बंसल, अमन अग्रवाल, भूवन सारोगी, जसकरन सिंह बक्शी, खुरशीद लकड़ावाला को मुख्य अतिथि द्वारा शील्ड देकर सम्मानित किया गया। उधर नेपाल ट्रॉफी दौलत हाउस को दी गई है।

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