इन पर कब करोगे कार्रवाई?

सेवानिवृत्त थानेदार पर कार्रवाई, सालों से जमे पुलिस अधिकारियों को नोटिस तक नहीं
ग्वालियर | दो दिन पूर्व कोतवाली परिसर स्थित पुलिस आवास में एक सेवानिवृत्त थानेदार को शराब पीते पुलिस अधिकारियों ने पकड़ा और उसके विरुद्ध कार्रवाई भी की। बेशक यह कार्रवाई उचित थी, क्योंकि थानेदार सेवानिवृत्ति के बाद भी अनाधिकृत रूप से शासकीय आवास में रह रहा है, लेकिन क्या एक थानेदार के विरुद्ध कार्रवाई करना और अनाधिकृत रूप से रह रहे अन्य पुलिस अधिकारियों से रहने का कारण तक न पूछना पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई पर सवालिया निशान नहीं लगा रहा। क्या पुलिस अधिकारी अपनों पर रहम और गैरों पर कार्रवाई का डण्डा चलाने वाली रीति पर चल रही है। ऐसा इसलिए कहना उचित है, क्योंकि शहर में बने पुलिस आवासों में रहने वाले कई पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जिनका स्थानांतरण बहुत पहले हो चुका है या फिर वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
दरअसल नेमीचन्द दीक्षित मध्यप्रदेश पुलिस में थानेदार पद से सेवानिवृत्त हुए हंै। वह ग्वालियर पुलिस कंट्रोल रूम प्रभारी रहते हुए सेवानिवृत्त हुए। नेमीचन्द कोतवाली परिसर स्थित शासकीय आवास में रहते हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद भी वह अनाधिकृत रूप से पुलिस आवास में रह रहा है। दो दिन पूर्व पुलिस अधिकारियों ने उनके आवास से उन्हें शराबखोरी करते पकड़ा। उनके विरुद्ध अनाधिकृत रूप से शासकीय आवास में रहते हुए शराबखोरी करने पर कार्रवाई भी की गई। इस मामले में कार्रवाई तो उचित है, लेकिन कार्रवाई पर सवालिया निशान तब लगता है, जब यह कार्रवाई केवल एक ही पुलिस अधिकारी के विरुद्ध की गई। चूंकि कोतवाली परिसर में ही आधा दर्जन ऐसे पुलिस अधिकारियों के परिवार रह रहे हैं, जिनका स्थानांतरण काफी समय पहले हो चुका है और कुछ तो ऐसे हैं, जो काफी समय पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। केवल कोतवाली परिसर ही नहीं, माधौगंज थाना परिसर, झांसी रोड स्थित पुलिस आवास, जनकगंज थाना परिसर, पड़ाव थाना परिसर में भी पुलिस अधिकारी अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं। क्या इन पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। कई बार इस मामले को खुद पुलिस अधिकारियों ने ही उठाया है, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हर बार कार्रवाई का आश्वासन देकर टालते रहते हैं।
यह रह रहे अनाधिकृत रूप से
वैसे तो दर्जनों पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जो अनाधिकृत रूप से पुलिस आवासों में रह रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं, जो बहुत समय से स्थानांतरण और सेवानिवृत्ति के बाद भी पुलिस आवासों में रह रहे हैं। अजय चांदना, थाना प्रभारी कोतवाली मुरैना, जनवेद सिंह यादव, थाना प्रभारी भिण्ड, मनोज शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक रीवा आदि कोतवाली परिसर में रह रहे हैं, जबकि सेवानिवृत्त निरीक्षक प्रकाश सिंह, सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक रामलखन सिंह भदौरिया लम्बे समय से पुलिस आवासों का उपयोग कर रहे हैं। इनके अतिरिक्त भी कई पुलिस अधिकारी अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं।
इनका अतिक्रमण कौन हटाएगा
झांसी रोड पर 20 पुलिस आवास बने हुए हैं। इन आवासों पर लम्बे से ऐसे पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों का कब्जा है, जो दूसरे जिलों में पदस्थ हैं। वर्तमान में जिले में पदस्थ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि इन आवासों में अनाधिकृत रूप से रह रहे पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों ने बिना विभाग की अनुमति के अवैध निर्माण भी करवा लिया है, जबकि यह नियम विरुद्ध है। ऐसे में उनके विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी इसे अनदेखा कर रहे हैं। इस स्थिति में उन पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों को आवास संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो दूसरे जिलों से स्थानांतरित होकर यहां आए हैं। पुलिस आवास उपलब्ध होते हुए भी वर्तमान पदस्थापित पुलिस अधिकारियों को आवास नहीं मिल पा रहे हैं।
''अनाधिकृत रूप से रह रहे पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
आर्दश कटियार
पुलिस महानिरीक्षक, ग्वालियर रेंज
''जनवरी सप्ताह के अंत तक एक कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी उन पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों के नाम सूचीबद्ध करेगी, जो पुलिस अधिकारी, कर्मचारी पुलिस आवासों में अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं। अनाधिकृत रूप से रह रहे पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों के विऱद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। जो पुलिस अधिकारी या कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी पुलिस आवास का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें बेदखल करने की कार्रवाई होगी।
संतोष कुमार सिंह
पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर