Home > Archived > जनमानस

जनमानस

पत्रकार बनाम सरकारी चारण

बड़े मजे की बात करते है हमारे केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी कि, अब ड्रायवर, डाक्टर, वकील की तरह पत्रकारों को भी अपने कार्य क्षेत्र में काम करने के लिए लायसेंस लेना होगा और लायसेंस पाने के लिए एक परीक्षा भी उत्तीर्ण करना होगी, प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष ने तो शैक्षिणक योग्यता के लिए एक कमेटी भी गठन कर दी है। जहां एक ओर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात हर राजनैतिक पाटियां करती हैं। लेकिन जब उनके हितों पर चोट होती है तो तिलमिलाकर प्रेस पर शिकंजा कसने एवं हत्या तक का प्रयास करने से नहीं चूकते है। एक शब्दजाल बुना गया मीडिया ये क्या बला है। मीडिया और पत्रकारिता दो शब्दों को समझना जरूरी है। जहां पत्रकारिता एक मिशन है वहीं मीडिया शुद्ध व्यवसाय है। वर्तमान समय में मीडिया के दखल के कारण पत्रकारिता हाशिए पर चली गई है। पत्रकारिता का अंश अनुभव प्रधान है। यहां किताबी ज्ञान नहीं चलता, सामाजिक घटना क्रम से गहरे सरोकार रखने वाला व्यक्ति पत्रकार हो सकता है। भले ही उसकी शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम हो, यह पत्रकारिता को चाटुकारिता के दायरे में समेटने की सोची समझी केन्द्र शासन की चाल है।
लायसेंसधारी पत्रकार मात्र केन्द्रीय सत्ता का चारण भाट बनकर रह जाएगा और शासन से स्वीकार लाभ भले ही प्राप्त कर ले, किन्तु वह सत्य से परे काम करने के लिए बाध्य रहेगा, सरकार के काले कारनामों की बखिया उधेडऩे का साहस नहीं कर सकेगा क्योंकि ऐसा दुस्साहस का मतलब लायसेंस रद्द होना अथवा रिनुवल न होने का खतरा बना रहेगा। पत्रकार बनाम सरकारी चारण मात्र होगा, तब पत्रकारिता पेशा होगी, मिशन नहीं।

कुवर वीरेन्द्रसिंह विद्रोही, ग्वालियर

Updated : 9 Sep 2013 12:00 AM GMT
Next Story
Top