दिल्ली गैंगरेप: नाबालिग की सजा पर फैसला 5 अगस्त तक टला
नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप मामले में नाबालिग आरोपी की सजा पर ज्यूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अपना फैसला पांच अगस्त तक के लिए टाल दिया है। इसके साथ ही आरोपी पर लगा डकैती का मामला भी टाल दिया गया है। ज्यूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के नियमों के मुताबिक यदि इस आरोपी को सजा होगी तो नाबालिग होने के चलते उसे अधिक से अधिक तीन साल की सजा ही हो सकती है।
इस नाबालिग आरोपी को सजा होने के बाद उसे जेल नहीं भेजा जायेगा बल्कि वह बाल सुधार गृह में रहेगा। पिछले साल 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के बाद एक आरोपी ने नाबालिग होने का दावा किया था। घटना के वक्त उसकी उम्र 17 साल, 6 महीने, 12 दिन थी। लिहाजा, पूरे देश में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की समीक्षा की मांग जोरों से उठी थी। वहीं दिल्ली पुलिस ने नाबालिग की उम्र सीमा घटाकर 16 साल करने की वकालत की थी।
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसला लेते हुए नाबालिगों की उम्र सीमा घटाने से इनकार कर दिया। इसके तहत जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में कोई बदलवा नहीं होगा। अदालत ने कहा कि मौजूदा उम्र सीमा में बदलाव करने की जरूरत नहीं है, जो कि अभी 18 साल है। अब इस आरोपी को नाबालिग होने का फायदा मिलेगा और इसे ज्यादा से ज्यादा केवल तीन साल की ही सजा हो सकती है।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान ज्यूवेनाइल कोर्ट ने नाबालिग को आरोपी तो मान लिया था लेकिन फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रखा था।