आरक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

इलाहाबाद । पीसीएस परीक्षा-2011 के दौरान नयी आरक्षण नीति लागू करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 26 मई को होने वाली साक्षरता पर भी दस दिन के लिए रोक लगा दी है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि 01अगस्त तक किसी भी परीक्षा का परिणाम घोषित न किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति एलके महापात्रा व न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने याची सुधीर कुमार सिंह व कई अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में परीक्षा के दौरान हर स्तर पर आरक्षण की नयी नीति आयोग द्वारा शामिल करने के निर्णय को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गयी थी। उल्लेखनीय है कि इस त्रिस्तरीय आरक्षण की नीति के विरोध में प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन ने पिछले सोमवार को उग्र रूप ले लिया था। सड़क पर उतरे हजारों छात्रों ने दर्जनों वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। उग्र छात्रों ने सिविल लाइंस में एक शापिंग मॉल सहित कई भवनों पर पथराव किया। शहर में धारा 144 लागू था, लेकिन उग्र छात्रों ने इसकी परवाह नहीं की। पूरे बवाल के दौरान पुलिस बैकफुट पर रही। शाम पांच बजे तक हजारों छात्र और पुलिस प्रशासन आमने-सामने रहे। छात्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से वार्ता की मांग पर अड़े रहे।सूत्रों की मानें तो आरक्षण के विरोध में उतरे छात्र नई नीति को रद कराने के लिए किसी भी स्थिति तक जाने को तैयार हैं। पिछली बार न्यायालय के सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित कर देने के चलते काफी बवाल हुआ था, इसके कारण शहर में भी हालात तनाव पूर्ण हैं। छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए पूरे हाईकोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
आरक्षण हाईकोर्ट के निर्णय के बाद शहर की शांति व्यवस्था में खलल ने पड़े। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए शहर में त्रिस्तरीय आंतरिक सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है।
प्रशासन की ओर से इलाहाबाद शहर को 50 सेक्टरों में बांटा गया है। इसमें स्थानीय पुलिस के साथ ही 50 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भी तैनात किए गए हैं। सभी प्रमुख रास्तों पर पुलिस और पीएसी के जवान तैनात किए गए है। लोकसेवा आयोग के चारों ओर बैरीकेडिंग लगाकर जबर्दस्त घेराबंदी कर दी गई ताकि प्रदर्शनकारी छात्र वहां न पहुंच सकें।