उत्तराखंड सरकार की लापरवाही ने ली हजारों लोगों की जान

नई दिल्ली | उत्तराखंड सरकार की लापरवाही की वजह से बाढ़ में हजारों लोगों को जान गवानी पड़ी। मौसम विभाग ने पहले ही राज्य सरकार को चेतावनी दी थी लेकिन सरकार ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। अगर राज्य सरकार ने वक्त रहते सतर्कता दिखाई होती तो प्रकृति के इस कहर से लोगों को बचाया जा सकता था। अंग्रेजी अखबार के अनुसार उत्तराखंड में आई तबाही का अंदेशा मौसम विभाग को पहले ही हो गया था। यहां तक कि मौसम विभाग ने 14 जून को ही राज्य सरकार को चेतावनी दी थी कि इस बार बारिश काफी तेज होने वाली है। मौसम विभाग ने लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए कहा था, यहां तक कि चारधाम यात्रा टालने की भी बात भी की थी, लेकिन सरकार ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।
मौसम विभाग ने राज्य के मुख्य सचिव, चार धाम यात्रा में पड़ने वाले जिलों के डीएम, आपदा प्रबंधन केंद्र, आईटीबीपी और चार धाम यात्रा के लिए जिम्मेदार ओएसडी समेत कई बड़े अधिकारियों को इस बारे में लिखा था। लेकिन राज्य मौसम विभाग की इस चेतावनी को उनके अपने अधिकारियों ने ही गंभीरता से नहीं लिया।
अगर विभाग का मुख्यालय इस चेतावनी को गंभीरता से लेता तो केंद्र सरकार को भी अलर्ट किया जा सकता था। भारी बारिश की पहली चेतावनी 14 जून को कृषि-सलाह बुलेटिन में दी गई थी। आपदा प्रबंधन केंद्र को चेतावनी दी गई। 15 जून, यानी भयानक बारिश से पूरा एक दिन पहले ही अगले 72 घंटे में भारी बारिश की चेतावनी आईटीबीपी और रुद्रप्रयाग के डीएम को दी गई थी। इस चेतावनी में साफ कहा गया था कि यात्रियों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जाए।
सरकार के अनुसार उत्तराखंड में हुई तबाही में अब तक एक हजार लोगों की मौत हुई है। लेकिन यह आकड़ा बढ़ने की संभावना है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से मृतकों के शव निकालने का काम जारी है।