जनमानस
नक्सलवाद का अंत जरूरी
जिस तरह से क्रूरता का ताण्डव नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में किया है, वह घृणित अमानवीय ही नहीं देश के लिए गंभीर चुनौती है। यही क्रूरता आतंकवाद की पहचान बन गई है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद या माक्र्सवाद प्रायोजित आतंकवाद लोकतंत्र के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के स्वाभिमान और अस्मिता के लिए भी खतरा है।
पाकिस्तानी आतंकवादी पुरुष वर्ग है, जो क्रूरता की हद पार करते हैं, लेकिन नक्सलवादी आतंकियों में खुलेआम युवा महिलाओं ने बंदूकें थाम ली है, क्यों? नक्सलवादियों की समानान्तर सत्ता चल रही है, गांव के गांव उनके इशारे पर नाचते है। उनके इशारे पर नेता बनते हैं, मिटाए जाते हैं। उन्हें शांति, सद््भाव, नियम वार्ताओं से मतलब नहीं, उन्हें तो साहूकारों, पूंजीपतियों, अधिकारियों और नेताओं के शोषण, अन्याय, अत्याचार से बदला लेने से मतलब है। शोषण से उपजी हिंसात्मक अनैतिक क्रांति के बीच हमारा कानून और कानून के सिपाहसालार सोचने को मजबूर है कि अब क्या व कैसे करें। भारत की अखण्डता, अस्मिता, लोकतंत्र को बचाना है तो कठोर कदम उठाना ही होंगे। सवाल कांग्रेस, भाजपा का नहीं है, सवाल शांति, न्याय और अस्तित्व का है। निरपराध लोगों की सुरक्षा का है। क्या इन्हें विदेशों से धन हथियार और ज्ञान दिया जा रहा है या हमारे बीच बैठे हुए लोग इन्हें प्रेरित कर सहयोग दे रहे हैं?
राजेन्द्र कोचला, इन्दौर