पाक: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुशर्रफ के देश छोडऩे पर रोक

पाक:  सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुशर्रफ के देश छोडऩे पर रोक
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इस्लामाबाद | पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ देश छोड़ने नहीं पाए, क्योंकि उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। मुशर्रफ के खिलाफ संविधान की भावना को आहत करने और 2007 में आपातकाल लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हो गई है। न्यायाधीश जावाद एस ख्वाजा की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने गृह सचिव को आदेश दिया कि वह मुशर्रफ को विदेश जाने से रोकने के लिए कदम उठाएं। सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रद्रोह (दंड) अधिनियम 1973 के तहत मुशर्रफ पर मुकदमा चलाने का सरकार को निर्देश दिए जाने की अपील करने वाली पांच याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई के बाद पीठ ने यह निर्देश जारी किए। पीठ ने सरकार, मुशर्रफ तथा अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किए और मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी। याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व सैन्य शासक ने 2007 में आपातकाल घोषित कर संविधान का उल्लंघन किया है और उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि संसद के उपरी सदन ने जनवरी 2012 में एक प्रस्ताव पारित किया था कि मुशर्रफ को स्वदेश वापसी पर गिरफ्तार किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। याचिकाएं दाखिल करने वाले वकीलों ने यह तर्क भी दिया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए उस आदेश पर भी कार्रवाई करने में विफल रही है, जिसमें प्रशासन को संविधान का उल्लंघन करने के लिए मुशर्रफ के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।
सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि मुशर्रफ को वीआईपी प्रोटोकाल नहीं दिया जाए, क्योंकि वह कई मामलों में आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ मामले से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भविष्य में संविधान की भावना को आहत नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ का समर्थन करने वाले जनरलों और अन्य लोगों को भी जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। आज सुबह याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होने से कई घंटे पहले मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने मुशर्रफ के खिलाफ राष्ट्रद्रोह (दंड) अधिनियम 1973 के तहत मुकदमा चलाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए पिछले सप्ताह गठित तीन सदस्यीय न्यायाधीश पीठ से खुद को अलग कर लिया। वर्ष 2007 के आपातकाल के दौरान मुशर्रफ द्वारा हटाए गए दर्जनों जजों में चौधरी के भी शामिल होने के मद्देनजर उनकी निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े किए जाने पर उन्होंने यह कदम उठाया।
याचिकाओं पर न्यायाधीश जावाद एस ख्वाजा की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई शुरू की। रावलपिंडी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ नेता तौफीक आसिफ ने मुख्य याचिका दाखिल की है, जिसमें मुशर्रफ पर आपातकाल लगाने के लिए राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की मांग की गयी है। लाहौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अहसानुद्दीन शेख ने शुक्रवार को एक अन्य याचिका दायर की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से सरकार को राष्ट्रद्रोह (दंड) अधिनियम के तहत मुशर्रफ पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिए जाने की अपील की गई है। एक अन्य याचिका इकबाल हैदर द्वारा दाखिल की गई है। इन याचिकाओं में मुशर्रफ को नामजद किया गया है और सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार को मुशर्रफ को हिरासत में लिए जाने का निर्देश देने को भी कहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मुशर्रफ ने 2007 के आपातकाल के दौरान जजों को हिरासत में लेकर न्याय तक पहुंच को बाधित किया और उनके स्थान पर असंवैधानिक रूप से दूसरे जजों को नियुक्त किया। मुशर्रफ करीब चार साल तक स्व निर्वासन में रहने के बाद 11 मई के आम चुनाव में अपनी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी की अगुवाई करने के लिए पिछले माह ही स्वदेश लौटे हैं। कराची, कसूर तथा इस्लामाबाद निर्वाचन क्षेत्रों से उनके नामांकन पत्रों को रद्द कर दिया गया है। हालांकि चित्राल में एक अन्य सीट से उनके नामांकन पत्र को स्वीकार कर लिया गया।


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