इतालवी नौसनिकों पर फैसला गुरुवार तक टला

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट, एसयूए 2002 लागू करने और दो इतालवी नौसैनिकों द्वारा की गई दो भारतीय मछुआरों की हत्या की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा की जा रही जांच के खिलाफ इटली सरकार की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार (25 अप्रैल) को फैसला सुनाएगा। इटली के दो नौसैनिकों ने फरवरी 2012 में दो भारतीय मछुआरों की केरल तट से लगे समुद्र में गोली मारकर हत्या कर दी थी। धान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में फैसला सुनाने वाली थी। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला गुरुवार को सुनाया जाएगा।
इटली सरकार ने दलील दी है कि यदि उनके दो नौसैनिकों को सजा सुनाई जाती हैं, तो उन्हें मृत्युदंड का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि यह, सप्रेशन ऑफ अनलाफुल एक्ट्स अगेंस्ट सेफ्टी ऑफ मरीटाइम नेविगेशन एंड फिक्स्ड प्लेटफॉर्म ऑन काटीनेंटल शेल्फ एक्ट (एसयूए) 2002, के तहत अनिवार्य सजा है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने दोनों नौसैनिकों को इटली से लौटने के बाद 22 मार्च को इस संबंध में संसद को सूचित किया था। उन्होंने कहा था कि भारत ने इटली को आश्वासन दिया है कि यदि उसके दोनों नौसैनिक मैसिमिलानो लैटोरे और सेलवाटोरे जिरोने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय तारीख तक लौट आते हैं तो उन्हें मृत्युदंड की सजा नहीं दी जाएगी। खुर्शीद ने कहा था कि यह मामला 'जघन्यतम' श्रेणी में नहीं आता, जिसके तहत भारत में मृत्युदंड की सजा दी जाती है। इसलिए इस बात का भय नहीं है। 15 फरवरी, 2012 को तेल टैंकर, एनरिका लेक्सी पर तैनात दो इतालवी नौसैनिकों ने दो भारतीय मछुआरों अजय बिंकी और गेलास्टिन की गोली मारकर हत्या कर दी थी।