इटली राजदूत के भारत छोड़ने पर लगी रोक की समय सीमा बढ़ी

नई दिल्ली। इतालवी नौसैनिकों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इटली के राजदूत मैनसिनी को फटकार लगाई। साथ ही न्यायालय ने उनके विदेश जाने पर रोक की समय सीमा बढ़ा कर दो अप्रैल कर दी। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर दोनों नौसैनिकों को आम चुनाव में मतदान के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी गई थी।
इटली के राजदूत ने मछुआरों की हत्या के आरोपी दोनों नौसेनिकों के भारत नहीं लौटने के मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखा। मामले की अगली सुनवाई अब दो अप्रैल को होगी। न्यायालय ने साफ किया की इटली के राजदूत को कोई विशेषाधिकार नहीं मिलेगा। विदित है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर दोनों नौसैनिकों को आम चुनाव में मतदान के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी गई थी। मतदान के बाद दोनों को वापस भारत लौटना था। लेकिन इटली ने दोनों को भारत भेजने से इंकार कर दिया है।
वहीं कुछ दिन पहले तक इटली सरकार के वकील रहे हरीश साल्वे का मानना है कि मैनसिनी ने सर्वोच्च न्यायालय में दिए हलफनामे का उल्लंघन किया है इसलिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। यहां तक कि उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इधर, भारत सरकार का कहना है कि इस मामले में वियना समझौते का उल्लंघन नहीं किया गया है क्योंकि राजदूत मैनसिनी ने खुद सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया था और ऐसा करके वो खुद-ब-खुद भारतीय न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में आ गए। इस बीच यूरोपीय संघ ने कहा है कि भारत और इटली बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाएं। दोनों नौसैनिकों के भारत लौटने की मियाद 22 मार्च को खत्म हो रही है, लेकिन इटली अपने फैसले पर अड़ा हुआ है। इटली का कहना है कि इस मामले की सुनवाई अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में होनी चाहिए। वहीं नौसैनिकों को वापस न भेजने के इटली के फैसले से नाराज भारत, इटली के साथ अपने कूटनीति सम्बंधों की समीक्षा कर रहा है। इटली के नौसैनिकों- मैसिमिलानो लाटोरे और सैलवाटोरे जिरोने ने फरवरी 2012 में केरल तट से लगे अरब सागर में भारतीय मछुआरों की नौका पर गोलीबारी की थी, जिसमें दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इटली के इन दोनों नौसैनिकों पर इसी मामले में भारत में हत्या का मुकदमा चल रहा है।