आम आदमी के लिए बजट में कुछ भी नहीं: सुषमा

बजट में आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं : सुषमा
बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि बजट में कल्पनाशीलता का अभाव है। यह बेहद सुस्त और उबाउ बजट है जिसमें ‘आम आदमी’ का जिक्र तक गायब है। उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां होने की बात के साथ अपनी बात की शुरुआत की लेकिन इन चुनौतियों से निपटने का एक भी कारगर उपाय इस बजट भाषण में नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि बजट में महिला, युवा और गरीबों के लिए कुछ भी नया नहीं है और सभी को निराशा हाथ लगी है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बजट में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर को कैसे आगे ले जाया जायेगा, इसके लिए क्या उपाय किये जायेंगे, इसका कोई जिक्र नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि समाज के जिस तबके को सबसे अधिक मदद की अपेक्षा थी उनके लिए बेहद मामूली पेशकश की गई है और खचरे की मदों में महज रूपांतरण किया गया है तथा परिव्यय में पर्याप्त कमी की गई है।
नई दिल्ली | वित्त मंत्री पी चिदम्बरम द्वारा आज लोकसभा में पेश वर्ष 2013-14 के आम बजट को उबाउ करार देते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि बजट में न कोई दृष्टि है और न ही इसमें आम आदमी को राहत प्रदान करने के लिए कोई पहल की गई है। बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि बजट में कल्पनाशीलता का अभाव है। यह बेहद सुस्त और उबाउ बजट है जिसमें ‘आम आदमी’ का जिक्र तक गायब है। उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां होने की बात के साथ अपनी बात की शुरुआत की लेकिन इन चुनौतियों से निपटने का एक भी कारगर उपाय इस बजट भाषण में नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि बजट में महिला, युवा और गरीबों के लिए कुछ भी नया नहीं है और सभी को निराशा हाथ लगी है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बजट में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर को कैसे आगे ले जाया जायेगा, इसके लिए क्या उपाय किये जायेंगे, इसका कोई जिक्र नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि समाज के जिस तबके को सबसे अधिक मदद की अपेक्षा थी उनके लिए बेहद मामूली पेशकश की गई है और खचरे की मदों में महज रूपांतरण किया गया है तथा परिव्यय में पर्याप्त कमी की गई है।
बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि बजट में कल्पनाशीलता का अभाव है। यह बेहद सुस्त और उबाउ बजट है जिसमें ‘आम आदमी’ का जिक्र तक गायब है। उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां होने की बात के साथ अपनी बात की शुरुआत की लेकिन इन चुनौतियों से निपटने का एक भी कारगर उपाय इस बजट भाषण में नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि बजट में महिला, युवा और गरीबों के लिए कुछ भी नया नहीं है और सभी को निराशा हाथ लगी है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि बजट में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर को कैसे आगे ले जाया जायेगा, इसके लिए क्या उपाय किये जायेंगे, इसका कोई जिक्र नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि समाज के जिस तबके को सबसे अधिक मदद की अपेक्षा थी उनके लिए बेहद मामूली पेशकश की गई है और खचरे की मदों में महज रूपांतरण किया गया है तथा परिव्यय में पर्याप्त कमी की गई है।