पैसे पेड़ पर नहीं उगते, डीजल का दाम बढ़ाना जरूरी : मनमोहन
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डीजल की कीमतों में वृद्धि तथा सब्सिडीयुक्त रसोई गैस की सीमा सीमित किए जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते। राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार का सब्सिडी बिल पिछले साल 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कहा, अगर हम कदम नहीं उठाते, तो इस साल यह दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाता। मनमोहन सिंह ने 1991 के वित्तीय संकट का जिक्र किया, जब कोई भी भारत को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं था। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं कि भारत उस स्थिति में दोबारा न आए। प्रधानमंत्री ने कहा, हम अपनी तेल जरूरत का 80 फीसदी आयात करते हैं। पिछले चार साल में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार तेजी आई है। हमने सारा बोझ आप पर नहीं डाला है, जिससे हम आपके हितों की रक्षा कर सकें। मनमोहन ने कहा कि पिछले साल जून में डीजल, केरोसिन तथा एलपीजी कीमतों में संशोधन न किए जाने की वजह से 1,40,000 करोड़ रुपये की तेल सब्सिडी का बोझ पड़ा था। अगर हम कदम नहीं उठाते, तो इस साल यह आंकड़ा 2,00,000 करोड़ रुपये को पार कर जाता। इसके लिए पैसा कहां से आता। पैसा पेड़ पर नहीं लगता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीजल कीमतों में सिर्फ 5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है, जबकि डीजल पर घाटे को पूरा करने के लिए 17 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि जरूरी थी। पीएम ने कहा कि ज्यादातर डीजल का इस्तेमाल बड़ी कारों और एसयूवी में अमीरों तथा कारखानों और कारोबारियों द्वारा किया जाता है।