भारत को श्रीलंका की चेतावनी, कश्मीर पर भुगतना पड़ेगा परिणाम
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अपने खिलाफ मतदान करने के भारत के फैसले से नाराज श्रीलंका ने भारत को चेतावनी दी है कि उसे अब कश्मीर पर इसका परिणाम झेलना पड़ सकता है। अमेरिका के समर्थन से लाया गया यह प्रस्ताव भारत के वोट से पारित हो गया था।
इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय रुख की वजह समझाने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षा को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में कहा गया है कि भारत ने प्रस्ताव की भाषा को संतुलित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता लक्ष्मण यापा अबेवारदेना ने शनिवार को कहा कि कुछ देश श्रीलंका में मानवाधिकार हनन पर प्रस्ताव को उदाहरण मान सकते हैं। इस आधार पर कश्मीर विवाद को लेकर भी प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। दरअसल श्रीलंका का मानना है कि भारत ने तमिल राजनीतिक दलों के दबाव में यूएन में निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया। जेनेवा में गुरुवार को मानवाधिकार परिषद की बैठक में अमेरिका द्वारा पेश प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राजपक्षा को पत्र में कहा, 'सकारात्मक तरीका खोजने के लिए मैंने अपने प्रतिनिधिमंडल को श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल के संपर्क में रहने के निर्देश दिए थे। आपको पता ही होगा कि हमने प्रस्ताव की भाषा में संतुलन लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और इसमें सफल भी रहे।' मनमोहन ने पत्र में तमिलों की समस्याएं खत्म करने के लिए एक स्थायी राजनीतिक समाधान की जरूरत पर बल दिया है।