अधर में लटका चंबल एक्सपीडीशन

अधर में लटका चंबल एक्सपीडीशन
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मुरैना, ।चंबल सफारी में केन्द्रीय पर्यटन विभाग द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये प्रयोग के तौर पर प्रमुख टूर आपरेटर्स व पर्यटकों के 22 सदस्यीय दल को चंबल नदी में भ्रमण हेतु लाये जाने का कार्यक्रम चंबल एक्सपीडीशन एक वर्ष बीतने के बाद भी परवान नही चढ़ सका है। इस दिशा में म.प्र. ईको टूरिज्म द्वारा किये जा रहे प्रयासों को देखें तो आगामी समय में चंबल एक्सपीडीशन के पूरे होने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है। चंबल एक्सपीडीशन के अधर में लटकने का प्रमुख कारण भ्रमण के लिये मोटरवोटों की व्यवस्था न हो पाना सामने आया है। अब इसे म.प्र. ईको टूरिज्म ही कहा जायेगा कि एक वर्ष के लंबे समय के दौरान भी मोटरवोटों की व्यवस्था नहीं हो पाई है।

-एक साल पहले बनाया था कार्यक्रम
चंबल सफारी में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये चंबल एक्सपीडीशन कार्यक्रम वर्ष 2011 में बनाया था। ईको टूरिज्म मध्यप्रदेश की लापरवाहियों के चलते चंबल एक्सपीडीशन कार्यक्रम को एनवक्त पर रद्द कर दिया गया था। एक बार रद्द हुआ चंबल एक्सपीडीशन कार्यक्रम पुन: संशोधित नहीं हो सका। चंबल एक्सपीडीशन के संशोधित न हो पाने के पीछे भी ईको टूरिज्म म.प्र. के अधिकारियों की ही लापरवाही रही है।

-दल में आने थे 22 सदस्य
पिछले वर्ष बनाये गये चंबल एक्सपीडीशन में 22 सदस्यों को शामिल किया जाना था जिसमें 8 वोटमेन, आगरा-ग्वालियर-दिल्ली तथा इंदौर के चार टूर ऑपरेटर्स, 4 विभागीय अधिकारी तथा शेष 6 पर्यटकों को शामिल किया गया था।

-दल के भ्रमण हेतु ली थी तिघरा की खटारा वोट
ईको टूरिज्म म.प्र. ने पिछले वर्ष बनाये चंबल एक्सपीडीशन कार्यक्रम में दल को चंबल सफारी का भ्रमण कराने के लिये तिघरा ग्वालियर से मोटरवोट मंगवाई थी। जो कि काफी पुरानी होने के साथ ही सिर्फ ठहरे हुये पानी में ही चलने के लायक थी। चंबल नदी के तेज बहाव व गहरे पानी में दल के सदस्यों पर भ्रमण के दौरान खतरा मंडराने लगा था। मीडिया को जब इसका पता चला तो यह दल की सुरक्षा का मामला काफी सुर्खियों में रहा था। सुरक्षा पर खतरा मंडराते देख दल के सदस्यों ने एनवक्त पर अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था।

इनका कहना है :-
‘‘चंबल एक्सपीडीशन को पूरा करने की कार्यवाही चल रही है, पांच सदस्यीय दल गत दिनों चंबल सफारी के भ्रमण पर गया था, हॉ मोटरवोटों की व्यवस्था न होने के कारण प्रमुख टूर आपरेटरों को चंबल में नहीं लाया जा पा रहा है, मोटरवोटों की व्यवस्था की जा रही है’
-डॉ. ए.के. भट्टाचार्य, सीईओ ईको टूरिज्म म.प्र.

‘‘सार्थक प्रयास किये जायें तो चंबल सफारी वल्र्ड हैरीटेज की साइड बन सकती है, यहां के अद्वितीय बीहड़, साफ-स्वच्छ बहता जल, अंधी डाल्फिन, 9 प्रजाति के कछुये, विलुप्तप्राय घडिय़ाल आदि बहुत पर्यटकों को विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा’’
-विसेंट रहीम, डीएफओ मुरैना

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